Supreme Court On Global Drugs Syndicate: सुप्रीम कोर्ट ने एनडीपीएस (NDPS) से जुड़े एक मामले में सुनवाई के दौरान बड़ी टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा कि जांच एजेंसी छोटे ड्रग्स पैडलर को पकड़ती हैं और इंटरनेशनल ड्रग्स सिंडिकेट चलाने वालों पर कार्रवाई नहीं करती है. शीर्ष अदालत की टिप्पणी मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) से जुड़े एक मामले में आरोपी की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान आई. वह पांच साल से अधिक समय तक जेल में रह चुका है. कोर्ट ने आरोपी को जमानत दे दी है.
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (10 फरवरी) को कहा कि जांच एजेंसियों को अपना समय और ऊर्जा छोटे-मोटे तस्करों को पकड़ने के बजाय अंतरराष्ट्रीय ड्रग सिंडिकेट के पीछे जाने में लगानी चाहिए. मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा और जे बी पारदीवाला की पीठ ने कहा, "भारत सरकार और जांच एजेंसियां बड़ी मछलियों को गिरफ्तार नहीं कर रही हैं. आप अंतरराष्ट्रीय ड्रग सिंडिकेट के पीछे क्यों नहीं जाते? उन्हें पकड़ने की कोशिश करें."
असली अपराधी को नहीं पकड़ रहे
CJI डी वाई चंद्रचूड़ की अगुआई वाली पीठ ने सवाल किया कि अंतरराष्ट्रीय सिंडिकेट चलाने वाले वास्तविक अपराधियों के बारे में राज्य क्या कर रहा है. अदालत ने कहा, "आप वास्तविक अपराधियों के बारे में क्या कर रहे हैं जो अंतरराष्ट्रीय सिंडिकेट चला रहे हैं? कोशिश करें और उन्हें पकड़ें और फिर लोगों को बचाएं. आप छोटे-मोटे पैडलर्स, किसानों आदि को पकड़ रहे हैं, लेकिन असली अपराधी नहीं."
सरकार ने जमानत का विरोध किया
सुप्रीम कोर्ट साबिर की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी. जिस पर पुलिस ने उसकी कृषि भूमि से व्यावसायिक मात्रा में अफीम बरामद किए जाने के बाद नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (एनडीपीएस) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया था. मध्य प्रदेश सरकार और नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल विक्रमजीत बनर्जी ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि यह कोई छोटी मात्रा नहीं है और वह पहले ही दो बार दोषी करार दिया जा चुका है.
आरोपी काट चुका है 5 साल की सजा
पीठ ने कहा कि बरामद नशीले पदार्थ की मात्रा के लिए अधिकतम सजा 10 साल है और वह इस अपराध के लिए पहले ही पांच साल से अधिक जेल की सजा काट चुका है. पीठ ने कहा, "ये छोटे किसान हैं जो अपराध के लिए जमानत नहीं ले सके." उन्होंने कहा कि वह जमानत के हकदार थे. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने आरोपी को जमानत देते हुए राज्य सरकार और एनसीबी (NCB) की दलीलों को खारिज कर दिया.
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