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सुप्रीम कोर्ट ने कहा- लॉकडाउन में गांव लौटे बाल मज़दूरों को वहीं रोकना जरूरी, बच्चों की तस्करी पर जारी किया नोटिस
सुप्रीम कोर्ट ने बाल अधिकार के लिए काम करने वाली संस्था बचपन बचाओ आंदोलन की याचिका पर केंद्र और सभी राज्यों को नोटिस जारी किया है और 2 हफ्तों में जवाब मांगा है.
![सुप्रीम कोर्ट ने कहा- लॉकडाउन में गांव लौटे बाल मज़दूरों को वहीं रोकना जरूरी, बच्चों की तस्करी पर जारी किया नोटिस Supreme Court said it is necessary to stop the child laborers returned to the village in lockdown ANN सुप्रीम कोर्ट ने कहा- लॉकडाउन में गांव लौटे बाल मज़दूरों को वहीं रोकना जरूरी, बच्चों की तस्करी पर जारी किया नोटिस](https://static.abplive.com/wp-content/uploads/sites/2/2020/06/08210022/Supreme-Court-1.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
फाइल फोटो
नई दिल्लीः लॉकडाउन के दौरान गांव लौटे बच्चों की दोबारा तस्करी रोकने के लिए कड़े कदम उठाए जाने की जरूरत बताने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और सभी राज्यों को नोटिस जारी किया है. बाल अधिकार के लिए काम करने वाली संस्था बचपन बचाओ आंदोलन की याचिका पर सभी पक्षों को 2 हफ्ते में जवाब देना है.
संस्था की तरफ से दाखिल याचिका में कहा गया है कि लॉकडाउन के दौरान बड़ी संख्या में बाल मजदूर वापस अपने गांव पहुंच गए हैं. इस समय अगर केंद्र और राज्य सरकारें सक्रिएता दिखाएंगी, तो बाल मजदूरी को काफी हद तक कम किया जा सकेगा. अगर सरकारों ने मुस्तैदी नहीं दिखाई, तो उन बच्चों को दोबारा शहर में भेज दिया जाएगा. इतना ही नहीं लॉकडाउन के चलते बढ़ी गरीबी के कारण नए बच्चों को भी बड़ी संख्या में मजदूरी के लिए भेजा जा सकता है.
सुनवाई की शुरुआत में ही चीफ जस्टिस एस ए बोबड़े की अध्यक्षता वाली बेंच ने मसले को अहम बताते हुए नोटिस जारी कर दिया. याचिकाकर्ता की तरफ से पेश वकील एच एस फुल्का ने मामले में अगली सुनवाई की तारीख जल्द रखे जाने की दरख्वास्त की. कोर्ट ने उनके आग्रह को स्वीकार करते हुए 2 हफ्ते बाद की तारीख दे दी.
चीफ जस्टिस ने कहा, "बच्चों की तस्करी बाल मजदूरी के लिए होती है. यह पूरी व्यवस्था का दोष है. बाल मजदूरी सस्ती होती है. हम ही बाल मजदूरी के लिए बाजार उपलब्ध कराते हैं." वकील एचएस फुल्का ने कहा, "बड़े पैमाने पर लड़कियों की भी तस्करी होती है, जो कि वेश्यावृत्ति के लिए उपलब्ध कराई जाती है."
कोर्ट का कहना था कि इस मामले में याचिकाकर्ता और सरकार, सबको होमवर्क करने की जरूरत है. मसले का हल निकाला जाना चाहिए. इसका समाधान सिर्फ पुलिस तंत्र को सक्रिय कर देने से नहीं होगा. एक व्यापक नीति बनाए जाने की जरूरत है.
केंद्र सरकार की तरफ से मौजूद सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने भी याचिका की सराहना की और कहा कि वह याचिकाकर्ता के साथ मिलकर बैठने के लिए तैयार हैं. बेंच ने कहा, "हम यही चाहते हैं कि आप लोग विचार कर के ठोस सुझाव कोर्ट के समान रखें. इस दौरान राज्य सरकारें भी अपना जवाब तैयार करें और दाखिल करें."
सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने कहा कि जो भी लोग ठेकेदारी के काम में लगे हैं, उन सब का रजिस्ट्रेशन होना चाहिए. बिना रजिस्ट्रेशन इस काम की अनुमति नहीं होनी चाहिए. अगर ठेकेदार रजिस्टर्ड होगा तो उसके पास उपलब्ध मजदूरों का आंकड़ा निकाल लेना आसान होगा. ठेकेदार पर हमेशा नजर रखी जा सकेगी.
याचिकाकर्ता और सॉलिसिटर जनरल ने कोर्ट के सुझाव को सही बताते हुए कहा कि इसके अलावा भी कई पहलुओं पर विचार किया जाएगा. कोर्ट को रिपोर्ट दी जाएगी. कोर्ट ने कहा कि इस मसले पर दूरगामी नीति बनाने के लिए विशेषज्ञों के एक पैनल का भी गठन किया जा सकता है.
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अनिल चमड़ियावरिष्ठ पत्रकार
Opinion: 'आस्था, भावुकता और चेतना शून्य...', आखिर भारत में ही क्यों होती सबसे ज्यादा भगदड़ की घटनाएं
Opinion