नई दिल्ली: कोविड-19 के इलाज में इस्तेमाल हो रहे हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन और एजिथ्रोरोमाइसिन के साइड इफेक्ट का सवाल उठाने वाली याचिका पर कोई आदेश देने से सुप्रीम कोर्ट ने आज मना कर दिया. कोर्ट ने कहा- हम दवाओं के विशेषज्ञ नहीं हैं. इलाज के तरीके में किसी बदलाव की जरूरत है या नहीं. यह देखना इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) और डॉक्टरों का काम है. याचिका ICMR को सौंपी जाए. वह इस पर विचार कर उचित फैसला ले.


इलाज पर ICMR करे विचार


अमेरिका में रहने वाले भारतीय मूल के डॉक्टर कुणाल साहा का कहना था कि क्योंकि अभी कोरोना की कोई दवाई नहीं है. सिर्फ अनुमान के आधार पर हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन और एजिथ्रोरोमाइसिन दिया जा रहा है. यह प्रमाणित हो चुका है कि इनके कई गंभीर साइड इफेक्ट हैं. दिल के मरीजों के लिए इनका ज्यादा डोज जानलेवा हो सकता है. इसलिए कोविड-19 के जरूरी केस में ही इनका इस्तेमाल हो. दिल के मरीजों को इसे देते समय पूरी सावधानी बरती जाए.


जजों ने कहा कि जब दवाई उपलब्ध नहीं है तो डॉक्टर को ही उचित इलाज सोचना चाहिए. देश में ICMR जैसी संस्था है, उसे ही तय करने दिया जाए कि कौन सी दवा इस्तेमाल करनी है और उसे मरीज को कितनी मात्रा में दिया जाना है.


RBI ग्राहकों को लाभ मिलना सुनिश्चित करे


आज चार याचिकाएं लॉकडाउन के दौरान बैंको की तरफ ग्राहकों को पूरा लाभ न दिए जाने की शिकायत से जुड़ी थीं, लेकिन किसी में भी याचिकाकर्ता बैंक के कर्जदार नहीं थे. यानी बैंक की तरफ से तीन महीने EMI लेने या न लेने से उन्हें सीधे फर्क नहीं पड़ रहा था. इनमें से एक याचिका मे कहा गया था कि बैंकों ने तीन महीने के लिए मोरेटोरियम यानी EMI न लेने का प्रस्ताव तो ग्राहकों को दिया है, लेकिन वह इस अवधि का ब्याज वसूल रहे हैं. यह गलत है. किसी भी याचिकाकर्ता के मामले से सीधे न जुड़े होने के चलते सुप्रीम कोर्ट ने कोई आदेश देने से मना कर दिया, लेकिन अहम टिप्पणी करते हुए कहा, "ऐसा लगता है कि बैंक रिज़र्व बैंक के 27 मार्च के सर्क्युलर का पालन नहीं कर रहे हैं. RBI इस मामले को देखे."


भड़काउ ट्विटर हैशटैग का मसला HC भेजा


आज एक ट्विटर पर गलत बातें लिखे जाने के खिलाफ कोर्ट में याचिका दाखिल की गई. तेलंगाना हाईकोर्ट के वकील खाजा एजाजुद्दीन का कहना था कि ट्विटर पर भड़काऊ हैशटैग ट्रेंड होते हैं. ट्विटर उन पर कोई लगाम नहीं लगाता. इस पर जजों ने कहा- हम इस पर क्या आदेश दे सकते हैं? कल कोई कहेगा कि फोन पर लोग गलत बात कहते हैं तो MTNL को इसे रोकने का आदेश दीजिए. वकील का कहना था- कम से कम ट्विटर को भड़काऊ हैशटैग न स्वीकार करने कहा जाए. चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा, "आप तेलंगाना हाईकोर्ट से आए हैं. हाईकोर्ट भी इस मांग को सुनने में सक्षम है. आप वहीं अपनी बात रखें."


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