(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Court News: नाबालिग नहीं, बालिग के तौर पर चलाया जाएगा कठुआ रेप के आरोपी पर मुकदमा- सुप्रीम कोर्ट
नाबालिग बच्ची का 10 जनवरी, 2018 को अपहरण किया गया था. उसे गांव के एक छोटे से मंदिर में बंधक बनाकर रखा गया था और चार दिन तक नशा देकर उसके साथ दुष्कर्म किया गया था.
SC On Kathua Gangrape Case: कठुआ गैंगरेप केस में एक नया मोड़ आ गया है. सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (16 नवंबर) को कहा कि कठुआ में आठ साल की बच्ची से सामूहिक बलात्कार और उसकी हत्या के सनसनीखेज मामले का एक आरोपी अपराध के समय नाबालिग नहीं था और अब उसके खिलाफ वयस्क के तौर पर नए सिरे से मुकदमा चलाया जा सकता है. शीर्ष अदालत ने फैसला सुनाया कि वैधानिक सबूत के अभाव में किसी अभियुक्त की उम्र के संबंध में चिकित्सकीय राय को 'दरकिनार' नहीं किया जा सकता.
जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने कहा, "अभियुक्त की आयु सीमा निर्धारित करने के लिए किसी अन्य निर्णायक सबूत के अभाव में चिकित्सकीय राय पर विचार किया जाना चाहिए. चिकित्सकीय साक्ष्य पर भरोसा किया जा सकता है या नहीं, यह साक्ष्य की अहमियत पर निर्भर करता है."
सीजेएम और HC के फैसले को किया रद्द
पीठ ने कठुआ के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) और हाईकोर्ट के आदेशों को रद्द कर दिया. इन आदेशों में कहा गया था कि मामले में आरोपियों में शामिल शुभम सांगरा अपराध होने के समय नाबालिग था और इसलिए उस पर अलग से मुकदमा चलाया जाना चाहिए. जस्टिस पारदीवाला ने फैसला सुनाते हुए कहा, "हम सीजेएम कठुआ और हाईकोर्ट के फैसलों को दरकिनार करते हैं और फैसला सुनाते हैं कि अपराध के समय आरोपी नाबालिग नहीं था."
पहले अपहरण, फिर बलात्कार और हत्या
बता दें कि नाबालिग बच्ची का 10 जनवरी, 2018 को अपहरण किया गया था. उसे गांव के एक छोटे से मंदिर में बंधक बनाकर रखा गया था और उसे चार दिन तक नशा देकर उसके साथ दुष्कर्म किया गया था. बाद में उसकी पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने 7 फरवरी, 2020 को सांगरा के खिलाफ किशोर न्याय बोर्ड (जेजेबी) के समक्ष सुनवाई पर रोक लगा दी थी.
जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने दावा किया था कि जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने अपराध के समय सांगरा को नाबालिग बताने के निचले अदालत के आदेश को सही ठहराकर त्रुटि की थी. इसके बाद जेजेबी के समक्ष सुनवाई पर रोक लगा दी गई थी. एक विशेष अदालत ने जून 2019 में इस मामले में तीन लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी और सबूत नष्ट करने को लेकर तीन पुलिस कर्मियों को पांच साल कैद और 50-50 हजार रुपये जुर्माने का दंड दिया था लेकिन सांगरा के खिलाफ मुकदमे को किशोर न्याय बोर्ड में स्थानांतरित कर दिया गया था.
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