Supreme Court On School Playground: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (3 मार्च) को हरियाणा के एक स्कूल परिसर से अतिक्रमण हटाने का आदेश देते हुए बड़ी सख्त टिप्पणी की. सर्वोच्च न्यायालय ने कहा, "खेल के मैदान के बिना कोई स्कूल नहीं हो सकता." कोर्ट ने हरियाणा सरकार को स्कूल परिसर से तुरंत अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया.
कोर्ट ने कहा, "खेल का मैदान नहीं है. स्कूल मूल रिट याचिकाकर्ताओं की ओर से किए गए अनधिकृत निर्माण से घिरा हुआ है. इसलिए स्कूल और खेल के मैदान के लिए आरक्षित भूमि पर अनधिकृत कब्जा और कब्जे को वैध करने का निर्देश नहीं दिया जा सकता है." पीठ ने कहा, "खेल के मैदान के बिना कोई भी स्कूल नहीं हो सकता. इस स्कूल में पढ़ने वाले छात्र भी अच्छे माहौल के हकदार हैं."
HC के फैसले को बड़ी गलती बताया
जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ ने पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के उस निर्णय को बड़ी भारी गलती बताया, जिसमें हाई कोर्ट ने अतिक्रमणकारियों को बाजार मूल्य चुका कर अतिक्रमण को वैध बनाने का निर्देश दिया था. हाईकोर्ट ने इस आदेश को साल 2016 में दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "हाईकोर्ट और संबंधित अधिकारियों के सभी आदेशों का अध्ययन करने के बाद और नए सीमांकन के अनुसार, यह विवादित नहीं हो सकता है कि मूल रिट याचिकाकर्ता (सात ग्रामीण) भगवान पुर ग्राम पंचायत की भूमि पर अवैध और अनधिकृत कब्जे में हैं."
स्कूल के खेल मैदान से जुड़ा है मामला
सर्वोच्च न्यायालय ने कहा, "यह विवादित जमीन हरियाणा के यमुनानगर जिले में स्कूल के उद्देश्य के लिए आरक्षित 11 कनाल और 15 मरला में से 5 कनाल और 4 मरला है." कोर्ट ने कहा, "यह पाया गया कि खसरा नंबर 61/2 में स्कूल का कोई खेल का मैदान नहीं है और न ही खसरा नंबर 62 से जुड़ी कोई पंचायती जमीन है. उक्त खसरा नंबर के पास जो जमीन है, उसका मालिकाना हक किसी अन्य व्यक्ति के पास है, जो उसे बेचने को तैयार नहीं है."
सुप्रीम कोर्ट ने HC के फैसले को पलटा
कोर्ट ने कहा, "यह नोट किया गया कि उक्त भूमि खसरा संख्या 61/2 और 62 (स्कूल के) से लगभग 1 किमी दूर है और तथ्यों से यह स्थापित होता है कि मूल रिट याचिकाकर्ताओं ने स्कूल के लिए निर्धारित ग्राम पंचायत की लगभग 5 कनाल और 4 मरला भूमि पर कब्जा कर लिया है. नए स्केच/नक्शे से, यह देखा जा सकता है कि याचिकाकर्ताओं ने 200 वर्ग गज से अधिक पर कब्जा कर लिया है और उच्च न्यायालय ने भूमि का बाजार मूल्य निर्धारित करने का निर्देश दिया है." सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को पलट दिया है.