Zoom Case: वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग ऐप जूम (Zoom) पर पाबंदी लगाने की मांग पर आगे सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट ने मना कर दिया है. याचिका में कहा गया था कि इस ऐप से लोगों का निजी डेटा लीक की आशंका है.  साल 2020 में कोर्ट ने मामले पर नोटिस जारी किया था. आज जूम के वकील ने कोर्ट को जानकारी दी कि सरकार की कमेटी उसे सही ठहरा चुकी है. इसके बाद कोर्ट ने मामले की सुनवाई बंद कर दी. 


जूम ऐप के लिए पेश वरिष्ठ वकील अरविंद दातार ने जस्टिस संजीव खन्ना और एम एम सुंदरेश की बेंच को बताया कि दिसंबर 2020 में ही सूचना प्रौद्योगिकी (IT) मंत्रालय की विशेषज्ञ कमिटी ऐप को सही ठहरा चुकी है. वरिष्ठ वकील ने यह भी कहा कि आज भारत मे इस ऐप का इस्तेमाल कई जगह कोर्ट की कार्यवाही में भी हो रहा है. उन्होंने याचिका के औचित्य पर भी सवाल उठाया. उनका कहना था कि अगर जूम एप के खिलाफ याचिका दाखिल की गई है तो वेब एक्स, माइक्रोसॉफ्ट टीम जैसे ऐप को क्यों छोड़ दिया. 


मामला क्या है? 
22 मई 2020 सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के रहने वाले हर्ष चुघ की याचिका पर केंद्र सरकार और जूम वीडियो कम्युनिकेशंस को नोटिस जारी किया था। याचिकाकर्ता की तरफ से दलील दी गई थी कि जूम ऐप के जरिए लोगों की निजी जानकारी चोरी की जा रही है. ऐप के संचालक डेटा होर्डिंग कर रहे हैं यानी लोगों की निजी जानकारी को जमा किया जा रहा है. ऐप में जानबूझकर एक बग रखा गया है, जिसके जरिए इस निजी जानकारी का लाभ साइबर क्राइम करने वाले लोग उठा सकते हैं.


याचिकाकर्ता ने क्या कहा? 
याचिकाकर्ता ने जानकारी दी थी कि कंप्यूटर से जुड़े मामलों के लिए केंद्र सरकार की नोडल एजेंसी  इंडियन कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम  (CERT) ने भी जूम ऐप के बारे में आगाह किया है। फिर भी इस ऐप का इस्तेमाल धड़ल्ले से हो रहा है. याचिका में मांग की गई थी कि सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार को जूम ऐप की जांच करवाने को कहे.   फिलहाल इस ऐप के भारत में इस्तेमाल पर पूरी तरह से रोक लगा दी जाए.


जूम ने क्या कहा? 
जूम वीडियो कम्युनिकेशंस के लिए पेश वरिष्ठ वकील अरविंद दातार का पक्ष थोड़ी देर तक सुनने के बाद जज उनसे सहमत नजर आए. जजों ने अपने आदेश में दर्ज किया कि जब सरकार की विशेषज्ञ कमेटी यह कह चुकी है कि इस ऐप में कोई समस्या नहीं है, तो अब मामले में आगे सुनवाई की कोई जरूरत नहीं है. 


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