नई दिल्लीः निजी लैब में कोरोना वायरस के संक्रमण की जांच के एवज में 4500 रुपये लेने के खिलाफ याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी बात कही है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्राइवेट लैब को कोरोना जांच के लिए पैसे लेने की अनुमति नहीं होनी चाहिए. हम इस मसले पर आदेश पारित करेंगे. सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में निजी लैब को जांच के लिए 4500 रुपए तक लेने कि इजाज़त देने वाली अधिसूचना को चुनौती दी गई थी.


आज प्राइवेट लैब को 4500 रुपये में कोरोना जांच की इजाज़त देने वाली अधिसूचना के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. पिछले हफ्ते कोर्ट ने इस मसले पर केंद्र से जवाब मांगा था.


दरअसल याचिकाकर्ता का कहना था कि लॉकडाउन के दौरान लोगों के सामने आर्थिक संकट है, लिहाजा लोग कोरोना वायरस की महंगी जांच से बचेंगे. इससे बीमारी फैल सकती है और सरकार को सबकी जांच मुफ्त में करवानी चाहिए.


सुप्रीम कोर्ट में वीडियो कॉन्फ्रेंसिग के जरिए इस याचिका पर सुनवाई की जा रही थी और सॉलिसिटर जनरल से कोर्ट ने कहा है कि जल्द ही अदालत इस बारे में आदेश पारित करेगी.


हालांकि कोर्ट ने संकेत दिए हैं कि निजी लैब कोरोना टेस्ट के पैसे मरीज की बजाय सरकार से ले सकें, ऐसी व्यवस्था बनाई जा सकती है. लिहाजा माना जा रहा है कि शीर्ष अदालत सरकार को ये आदेश दे सकती है कि वो निजी लैब्स में की जा रही कोरोना वायरस की जांच के लिए आने वाले खर्च को वहन करे. इसके लिए लोगों पर बोझ नहीं डाला जाना चाहिए.


24 मार्च को प्राइवेट लैब्स को दी गई थी कोरोना की टेस्टिंग की मंजूरी
भारत में लगातार बढ़ते कोरोना मामलों को देखते हुए आईसीएमआर ने 24 मार्च को प्राइवेट लैब को भी कोविड-19 का टेस्ट करने की अनुमति दे दी थी. इसके लिए खास नियम भी बनाए गए जिनका सख्ती से पालन इन लैब्स को करना होगा. भारत में कुल 26 निजी लैब को इजाजत दी गई जो कोरोना वायरस की टेस्टिंग कर सकती हैं. इस टेस्ट के लिए 4500 रुपये की फीस तय की गई थी.


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