Supreme court News: सुप्रीम कोर्ट ने अपनी रजिस्ट्री से कहा है कि वह ट्रायल कोर्ट को निचली अदालत कहना बंद कर दें. शीर्ष अदालत ने कहा कि ट्रायल कोर्ट के रिकॉर्ड को भी निचली अदालत का रिकॉर्ड नहीं कहा जाना चाहिए. जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली दो व्यक्तियों की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया.


'रजिस्ट्री ट्रायल कोर्ट को निचली अदालत न कहे'


हाईकोर्ट ने साल 1981 के हत्या के एक मामले में दोनों व्यक्तियों को दोषी ठहराए जाने और आजीवन कारावास की सजा के खिलाफ उनकी याचिका खारिज कर दी थी. पीठ ने आठ फरवरी को पारित अपने आदेश में कहा, “यह उचित होगा यदि इस कोर्ट की रजिस्ट्री ट्रायल कोर्ट को निचली अदालत के रूप में संदर्भित करना बंद कर दे. यहां तक कि ट्रायल कोर्ट के रिकॉर्ड को निचली अदालत का रिकॉर्ड (एलसीआर) भी नहीं कहा जाना चाहिए. इसके बजाय, इसे ट्रायल कोर्ट रिकॉर्ड (टीसीआर) के रूप में संदर्भित किया जाना चाहिए. रजिस्ट्रार (न्यायिक) इस आदेश का संज्ञान लें.”


साल 2018 के आदेश को दी गई थी चुनौती


सुप्रीम कोर्ट ने अपनी रजिस्ट्री से संबंधित मामले के ट्रायल कोर्ट रिकॉर्ड की डिजिटल प्रति मंगाने को कहा और मामले की सुनवाई के लिए छह अगस्त की तारीख तय की. दोनों याचिकाकर्ताओं ने हाईकोर्ट के अक्टूबर 2018 के आदेश को चुनौती दी है, जिसने उनकी अपील खारिज कर दी थी और उन्हें शेष सजा काटने के लिए संबंधित अदालत में आत्मसमर्पण करने के लिए कहा था.


उन्होंने मामले में उन्हें दोषी ठहराए जाने और आजीवन कारावास की सजा सुनाए जाने के अदालत के फैसले को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (7 फरवरी) को अपने रजिस्ट्री अधिकारियों से कहा था कि याचिकाकर्ताओं की जाति या धर्म का उल्लेख करने की प्रथा को बंद किया जाना चाहिए.


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