Supreme Court On EVM: उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि झूठा बयान देने वाले व्यक्ति को नतीजा पता होना चाहिए क्योंकि इससे चुनावी प्रक्रिया बाधित होती है. शीर्ष अदालत किसी EVM (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) में खराबी से संबंधित एक चुनावी नियम के खिलाफ याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसके बारे में याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि यह असंवैधानिक है. न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की बेंच ने याचिकाकर्ता को लिखित में दाखिल करके यह बताने को कहा कि प्रावधान में क्यों दिक्कत है. बेंच ने साथ ही यह भी कहा कि वह इस स्तर पर उसके रुख से सहमत नहीं है. अदालत ने मामले को छुट्टियों के बाद सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने के लिए कहा.


कोर्ट ने आगाह किया


बेंच ने कहा, ‘‘हम आपको बहुत साफ तौर पर बताना चाहते हैं, हमें नियम 49एमए के लिए आपके अनुरोध पर विचार करने का कोई कारण नहीं दिखता. आपके अनुसार प्रावधान में क्या गलत है? आप (इसे लेकर) लिखित में नोट दीजिए.’’ बेंच ने कहा, ‘‘अगर कोई झूठा बयान देता है, तो उसे परिणाम पता होना चाहिए. आगे की पूरी चुनावी प्रक्रिया ठप हो जाती है. हमें लगता है कि कुछ सख्त शर्त होनी चाहिए, यानी कौन शिकायत कर रहा है और किसे निर्णय लेना है (इस पर विचार किया जाएगा). अन्यथा व्यवस्था काम नहीं कर पाएगी.’’ 


नियम 49एमए में क्या लिखा है


अदालत सुनील अह्या की ओर से दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि चुनाव संचालन नियमों का नियम 49एमए असंवैधानिक है. क्योंकि यह इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन और मतदान की पर्ची देने वाली मशीन (वीवीपैट) में खराबी की सूचना देने को अपराध बनाता है.


नियम 49एमए में लिखा है- जहां पेपर ट्रेल (मतदान की पर्ची) के लिए प्रिंटर का उपयोग किया जाता है, अगर कोई मतदाता अपना वोट दर्ज करने के बाद नियम 49एम के तहत यह आरोप लगाता है कि प्रिंटर से निकली पर्ची में उस उम्मीदवार का नाम या चिह्न है, जिसके लिए उसने वोट नहीं दिया था, तो पीठासीन अधिकारी किसी झूठी घोषणा करने के नतीजे के बारे में मतदाता को चेतावनी देने के बाद, मतदाता से इस आरोप को लिखित में लेगा. 


अभिव्यक्ति की आजादी का हनन है 49एमए!


याचिका में आरोप लगाया गया है कि चुनाव प्रक्रिया में इस्तेमाल की जाने वाली मशीनों की गड़बड़ी के मामलों में जिम्मेदारी मतदाता पर डालना किसी नागरिक को संविधान के तहत मिली अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन है. याचिका में कहा गया है कि जब किसी मतदाता को नियम 49एमए के तहत निर्धारित परीक्षण वोट डालने के लिए कहा जाता है, तो वह इलेक्ट्रॉनिक मशीनों के प्री-प्रोग्राम्ड होने के कारण उसी नतीजे को दोबारा सामने लाने में सक्षम नहीं हो सकता, जिसके बारे में वह शिकायत कर रहा था.


इसमें कहा गया है कि ईवीएम और वीवीपैट में गड़बड़ी के लिए किसी मतदाता को जिम्मेदार ठहराना उसे आगे आने और प्रक्रिया में सुधार के लिए आवश्यक शिकायत करने से रोक सकता है.


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