नई दिल्ली: क्या कोर्ट संसदीय समिति की रिपोर्ट को आधार बनाते हुए आदेश जारी कर सकती है? इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ में चल रही सुनवाई के दौरान बेंच और एटॉर्नी जनरल में कुछ देर तक बहस हुई. दरअसल, सरकार की दलील है कि संसदीय कमिटी की रिपोर्ट पर विचार और कार्रवाई संसद का विशेषधिकार है. कोर्ट सिर्फ संसद के बनाए कानून की समीक्षा कर सकता है.
एटॉर्नी जनरल ने कहा संविधान के तहत हुए शक्ति के बंटवारे को अहमियत दी जानी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट अनुच्छेद 142 के तहत हासिल असीमित शक्ति का इस्तेमाल करते हुए कई बार ऐसे आदेश पारित करता है, जो विधायिका या कार्यपालिका के अधिकार क्षेत्र का हनन है.
एटॉर्नी जनरल ने आगे कहा, "आपने जीवन के अधिकार का दायरा बढ़ाते हुए कई नए पहलू जोड़ दिए. ऐसा करते वक़्त ये नहीं सोचा गया कि इन्हें लागू करने के संसाधन सरकार के पास हैं या नहीं."
इस पर बेंच के सदस्य जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा, "हम जनहित में ज़रूरी आदेश देते हैं. मेरे साथी जज जस्टिस सीकरी के आदेश के चलते लोग दिवाली के बाद ठीक ढंग से सांस ले सके."
इस पर एटॉर्नी जनरल ने हाई वे पर शराब की बिक्री बंद करने के आदेश का हवाला दिया. उन्होंने कहा, "हाई वे से काफी दूर तक शराब बिक्री बंद की गई. इसमें भी जीवन का अधिकार शामिल था. लाखों लोग बेरोजगार हो गए."
जस्टिस चंद्रचूड़ ने जवाब दिया, "सरकार ने खुद इस तरह की नीति की सिफारिश की थी. हमने तो सिर्फ उसे लागू किया."