नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने ओडिशा के जगन्नाथ पुरी मंदिर में दूसरे धर्म के लोगों को भी प्रवेश देने पर विचार करने का सुझाव दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हिन्दू धर्म सबके लिए उदारता का भाव रखने वाला धर्म है. अगर कोई देवता के लिए सम्मान जताने और मंदिर के नियमों का पालन करने की बात लिखित में देता है  तो उसे मंदिर में आने देने पर विचार करना चाहिए.

अब 5 सितंबर को होगी अगली सुनवाई

जस्टिस एके गोयल की अध्यक्षता वाली बेंच ने मंदिर कमिटी से इस सुझाव पर विचार कर अपनी राय बताने को कहा है. इस मामले में अगली सुनवाई पांच सितंबर को होगी. सुप्रीम कोर्ट पुरी के जगन्नाथ मंदिर में श्रद्धालुओं को सुविधा से दर्शन मिलने से जुड़े मामले की सुनवाई कर रहा था. एक याचिका में कोर्ट का ध्यान इस ओर खींचा गया था कि मंदिर के मैनेजमेंट में कई दिक्कतें हैं. आसपास अवैध कब्जे हैं. श्रद्धालुओं से दर्शन के नाम पर पंडे बड़ी रकम वसूलते हैं और अक्सर श्रद्धालुओं के साथ दुर्व्यवहार भी किया जाता है.

कोर्ट ने मंदिर की व्यवस्था पर डिस्ट्रिक्ट जज से रिपोर्ट मांगी थी. इस रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक-

  • पीढ़ियों से सेवक का काम कर रहे लोगों की बजाय नए सेवकों की नियुक्ति की जाएगी.

  • सेवकों को आइडेंटिटी कार्ड दिया जाएगा.

  • अन्नदान, थाली जैसी चीजों के नाम पर सेवक पैसे नहीं वसूलेंगे.

  • मंदिर में आ रहे चढ़ावे के प्रबंधन की व्यवस्था सुधारी जाएगी.

  • सुविधा से दर्शन के लिए लाइन लगने की व्यवस्था बनाई जाएगी.

  • महिला और पुरुषों के लिए अलग शौचालयों का निर्माण होगा.


सुप्रीम कोर्ट ने दिया था कमिटी गठन का आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने मंदिर प्रशासन, राज्य सरकार और केंद्र को नोटिस जारी करके एक कमिटी के गठन का आदेश दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि कमिटी वैष्णो देवी, सोमनाथ मंदिर, तिरुपति, स्वर्ण मंदिर जैसी धार्मिक जगहों के मैनेजमेंट का अध्ययन कर जगन्नाथ मंदिर की व्यवस्था सुधारने पर सुझाव दे.

सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा है कि किसी भी धर्म से जुड़े धार्मिक स्थानों में अगर श्रद्धालुओं को व्यवस्था में कोई दिक्कत लगे, तो वो वहां के ज़िला जज से शिकायत कर सकते हैं. ज़िला जज जांच के बाद हाई कोर्ट को रिपोर्ट दें. हाई कोर्ट जनहित में उचित आदेश दे.