Supreme Court Hearing: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (03 जनवरी) को कहा कि न्यायिक कार्यवाही में सरकारी अधिकारियों को बुलाने का मनमाना अदालत का आदेश संविधान की ओर से परिकल्पित योजना के विपरीत है और इस मुद्दे पर मानक संचालन प्रक्रिया तैयार की गई है.


कोर्ट ने कहा कि न्यायिक प्रक्रिया में सरकारी अधिकारियों को तलब करने के मनमाने अदालती आदेश संविधान में दी गई व्यवस्था के अनुकूल नहीं हैं. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तय की.


न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि अदालतों के लिए मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) में इस बात पर जोर दिया गया है कि उन्हें अधिकारियों को मनमाने ढंग से तलब करने से दूर रहने की जरूरत है. 


सीजेआई ने फैसला सुनाते हुए क्या कहा?


फैसला सुनाते हुए सीजेआई ने कहा कि अदालतें किसी अधिकारी को सिर्फ इसलिए नहीं बुला सकतीं क्योंकि उसका नजरिया अदालतों से अलग है. इसमें यह भी कहा गया कि अदालतों को अदालती कार्यवाही के दौरान अधिकारियों को अपमानित करने वाली टिप्पणी या अवलोकन करने से बचना चाहिए. पीठ ने कहा कि अदालतों को इस तरह की टिप्पणियां नहीं करनी चाहिए जो अधिकारियों को अपमानित करने वाली हों.  


सुप्रीम कोर्ट ने रद्द किया इलाहाबाद हाई कोर्ट का आदेश 


सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस आदेश को भी रद्द कर दिया जिसके आधार पर उत्तर प्रदेश वित्त विभाग के दो सचिवों को हिरासत में लिया गया था. इससे पहले, पीठ ने कहा था कि वह सरकारी अधिकारियों को तलब करते समय देश भर की अदालतों की ओर से अपनाए जाने वाले व्यापक दिशानिर्देश तय करेगी. 


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