Supreme Court On Misleading Advertisement: पतंजलि के भ्रामक विज्ञापनों से जुड़े मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (07 मई) को कहा कि
लोगों को किसी प्रोडक्ट को खरीदने के लिए बढ़ावा देने वाले सेलिब्रिटी और इंफ्लुएंसर अपनी जवाबदेही से नहीं बच सकते. उनकी तरफ से किया गया समर्थन किसी उत्पाद को बढ़ावा देने में काफी मददगार होता है. इसलिए उन्हें जिम्मेदारी से काम करना चाहिए. उन्हें भ्रामक विज्ञापनों का हिस्सा बन कर गलत उत्पाद या सेवा के प्रति अपना समर्थन नहीं दिखाना चाहिए.
जस्टिस हिमा कोहली और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच ने कहा कि केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) ने इस मामले में दिशानिर्देश तय किए हैं. विज्ञापन देने वाली कंपनी, विज्ञापन जारी करने वाली एजेंसी के अलावा उस विज्ञापन में हिस्सा लेने वाली मशहूर हस्ती को भी उनका पालन करना चाहिए.
'जिम्मेदारी से काम करें सेलिब्रिटी और इंफ्लुएंसर'
सुप्रीम कोर्ट ने कोर्ट ने कहा, "सेलेब्रिटी यानी मशहूर हस्तियों और इंफ्लुएंसर का समर्थन किसी उत्पाद को बढ़ावा देने में बहुत मदद करता है. उनके लिए यह अनिवार्य है वह किसी उत्पाद का समर्थन करते समय जिम्मेदारी के साथ काम करें. झूठे और भ्रामक विज्ञापन का हिस्सा न बनें. उन्हें अपने ऊपर जनता के भरोसे का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए."
सुप्रीम कोर्ट ने क्यों की ये टिप्पणियां?
अदालत ने यह टिप्पणियां पतंजलि के भ्रामक विज्ञापनों से जुड़े मामले पर सुनवाई करते हुए की. इससे पहले हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई का दायरा बड़ा करते हुए कहा था कि वह किसी एक कंपनी के खिलाफ सुनवाई नहीं कर रहा है. भ्रामक विज्ञापनों के ज़रिए लोगों के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने से जुड़े दूसरे विज्ञापनों पर भी लगाम लगनी ज़रूरी है. कोर्ट ने इस पर सरकार से भी सवाल किए हैं.