Article 370 Hearing: केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा, 'जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा भी वापस मिलेगा और चुनाव...'
Article 370: अनुच्छेद 370 मामले पर चल रही सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा है कि वह जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा देने की दिशा में काम कर रही है.
Supreme Court On Article 370: केंद्र सरकार ने कहा है कि वह जम्मू-कश्मीर में चुनाव करवाने और उसे राज्य का दर्जा देने की दिशा में काम कर रही है. सरकार सुप्रीम कोर्ट को बताएगी कि ऐसा कब तक होगा. अनुच्छेद 370 मामले पर चल रही सुनवाई के दौरान केंद्र की तरफ से पेश सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि गुरुवार (31 अगस्त) को होने वाली सुनवाई में वह एक टाइमलाइन कोर्ट के सामने रखेंगे.
इससे पहले सॉलिसीटर जनरल ने यह साफ किया कि जम्मू-कश्मीर के राज्य दर्जा फिर से बहाल किया जाएगा, लेकिन लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश ही बना रहेगा. मेहता ने यह जानकारी कोर्ट के सवालों के जवाब में दी. चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 5 जजों की संविधान पीठ ने जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में लोकतांत्रिक प्रक्रिया शुरू करने पर प्रश्न पूछा था. कोर्ट ने यह भी जानना चाहा था कि किसी राज्य को 2 केंद्र शासित प्रदेश में बदल देने का अधिकार संसद को है या नहीं.
2 हिस्सों में बंटा था राज्य
गौरतलब है कि 5 अगस्त 2019 को संसद से पारित प्रस्ताव के बाद जम्मू-कश्मीर राज्य 2 केंद्र शासित क्षेत्रों- जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बंट गया था. इनमें से जम्मू-कश्मीर में संविधान के अनुच्छेद 239A के तहत विधानसभा का प्रावधान है, जबकि लद्दाख में इसकी व्यवस्था नहीं की गई है. जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश में विधानसभा की व्यवस्था होने के बावजूद अब तक चुनाव नहीं हुए हैं. कोर्ट का सवाल इसी संदर्भ में था. 2019 में केंद्र सरकार की तरफ से यह भी कहा गया था कि भविष्य में जम्मू-कश्मीर को राज्य का भी दर्जा दे दिया जाएगा. कोर्ट ने इस पर भी जानकारी मांगी थी.
पेश की जाएगी टाइमलाइन
कोर्ट के सवालों का जवाब देते हुए सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि राज्य को 2 हिस्सों में बांटने का फैसला राष्ट्रीय हित से जुड़े कई मसलों के आधार लर लिया गया था. उन्होंने अनुरोध किया कि संसद की तरफ से लिए गए इस फैसले में कोर्ट दखल न दे. जहां तक लोकतांत्रिक प्रक्रिया का सवाल है तो लद्दाख में स्थानीय संस्थाओं के चुनाव चल रहे हैं. जम्मू-कश्मीर में भी विधानसभा चुनाव के लिए प्रयास किए जा रहे हैं. सरकार इस बारे में कोर्ट को जानकारी देगी.
चीफ जस्टिस की अहम टिप्पणी
12वें दिन की सुनवाई के अंत में चीफ जस्टिस ने एक अहम टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि 5 अगस्त 2019 को जो हुआ, वह 1950 से चल रही प्रक्रिया का स्वाभाविक परिणाम था. ऐसा नहीं कहा जा सकता कि उस तारीख से पहले जम्मू-कश्मीर को पूर्ण स्वायत्तता हासिल थी. 26 जनवरी 1950 के बाद से राज्य की स्थिति में कई बदलाव हुए. यह सभी बदलाव भारत में उस राज्य के पूरी तरह समाहित हो जाने की प्रक्रिया का हिस्सा थे. 2019 में इस प्रक्रिया को पूरा किया गया.
'मौलिक अधिकारों से वंचित थे कई नागरिक'
संविधान पीठ की अध्यक्षता कर रहे चीफ जस्टिस ने यह भी कहा कि 5 अगस्त 2019 से पहले जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 35A लागू था. इसके चलते वहां के रहने वाले बहुत से नागरिक मौलिक अधिकारों से वंचित थे. उन्हें स्थायी निवासी का दर्जा नहीं था. इसलिए उन्हें स्थानीय चुनाव लड़ने या उनमें मतदान करने का अधिकार हासिल नहीं था. वह राज्य में संपत्ति भी नहीं खरीद सकते थे. अब यह बाधा दूर हो गई है.
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