Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (24 अप्रैल) को एक अहम टिप्पणी में कहा है कि जजों को लंबित मामलों पर मीडिया आउटलेट्स को इंटरव्यू नहीं देना चाहिए. शीर्ष अदालत ने कलकत्ता हाईकोर्ट के एक जज के आचरण पर सवाल उठाते हुए ये टिप्पणी की. कोलकाता HC ने जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय ने एक वीडियो इंटरव्यू दिया था. इसमें उन्होंने राजनीतिक रूप से संवेदनशील मुद्दों पर अपनी बेंच के फैसलों के बारे में बात की थी. जस्टिस गंगोपाध्याय ने पश्चिम बंगाल स्कूल भर्ती में अनियमितताओं को लेकर सीबीआई को जांच के लिए कम से कम 10 आदेश दिए हैं.


मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने जस्टिस गंगोपाध्याय के वीडियो इंटरव्यू पर नाराजगी जताई है. पीठ में दूसरे जज जस्टिस पीएस नरसिम्हन हैं. 


नहीं दे सकते लंबित मामलों पर इंटरव्यू


पीठ ने कहा, "जजों के पास लंबित मामलों पर साक्षात्कार देने का कोई काम नहीं है. अगर वे ऐसा करते हैं, तो वे मामले की सुनवाई नहीं कर सकते. उन्हें कार्यवाही में भाग लेने का कोई अधिकार नहीं है. हम इस पर बिल्कुल स्पष्ट हैं.' इसके साथ ही पीठ ने कलकत्ता हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल से 28 अप्रैल तक मामले पर रिपोर्ट मांगी है.


सुनवाई से हटाए जा सकते हैं जज


पीठ ने आगे कहा कि यदि इंटरव्यू और ट्रांसक्रिप्ट सही पाई जाती है तो वह हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से इस मामले को नई पीठ को सौंपने के लिए कह सकती है. पीठ ने कहा, “हम जांच को नहीं छुएंगे या किसी एजेंसी को मामले की जांच करने से रोकने के लिए कोई आदेश पारित नहीं करेंगे लेकिन जब कोई जज टीवी डिबेट में याचिकाकर्ता के बारे में अपनी राय देता है तो वह उस मामले की सुनवाई नहीं कर सकता है. उच्च न्यायालय के प्रमुख को तब एक नई पीठ का गठन करना होगा."


रजिस्ट्रार को दिया आदेश


पीठ ने रजिस्ट्रार को आदेश दिया कि वह जस्टिस गंगोपाध्याय से सत्यापित करें कि क्या उन्होंने बंगाली टेलीविजन चैनल एबीपी आनंदा को इंटरव्यू दिया था और वीडियो में दर्ज अपने बयानों को स्पष्ट करें.


पीठ ने कहा, "हम जानना चाहते हैं कि क्या विद्वान जज ने इंटरव्यू दिया है. यह एक टीवी वीडियो है और इसकी संभवतः गलत व्याख्या नहीं की जा सकती है."


इंटरव्यू में क्या कहा था ?


पिछले साल जस्टिस गंगोपाध्याय ने एबीपी आनंद को एक इंटरव्यू दिया था. इसमें उन्होंने सीबीआई जांच के अपने आदेशों को सही ठहराते हुए कहा था कि शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार दिखाई देता है.


जस्टिस गंगोपाध्याय ने इसी इंटरव्यू में यह भी कहा था कि टीएमसी के महासचिव को इस आरोप के लिए तीन महीने की सजा हो सकती है कि न्यायपालिका एक वर्ग बीजेपी के साथ मिला हुआ है. उन्होंने यह भी कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट उनकी आलोचना करता है और उन्हें हटा दिया जाता है तो भी उन्होंने जो किया है, उस पर कायम रहेंगे क्योंकि "भ्रष्टाचार ने भारत को नष्ट कर दिया है."


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