हर एटीएम पर चौबीसों घंटे सिक्योरिटी गार्ड तैनात करने को सुप्रीम कोर्ट ने अव्यवहारिक बताया है. गुवाहाटी हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ बैंकों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. सुप्रीम कोर्ट ने उनकी दलील को स्वीकार करते हुए हाईकोर्ट के आदेश को निरस्त कर दिया है.
 
2013 में गुवाहाटी हाईकोर्ट ने एटीएम से एक व्यक्ति के 35 हजार रुपए चोरी होने की घटना पर स्वतः संज्ञान लिया था. हाईकोर्ट ने एटीएम में सुरक्षा को लेकर आदेश जारी किया था. इस आदेश में हर एटीएम बूथ पर सुरक्षा गार्ड रखने, सीसीटीवी कैमरा हमेशा चालू रखने, एटीएम से जुड़े अस्थायी कर्मचारियों के वेरिफिकेशन, एक बार में एक ही व्यक्ति के एटीएम बूथ में प्रवेश, एटीएम बूथ में हेलमेट और मफलर जैसी चीजों से चेहरा ढंकने पर रोक जैसी कई बातें कही गई थीं.
 
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, पंजाब नेशनल बैंक और बैंक ऑफ इंडिया ने हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. उन्होंने सभी एटीएम बूथ पर हर समय गार्ड की तैनाती को खर्चीला और अव्यवहारिक बताया था. 2016 में बैंकों की याचिका को सुनते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी थी. अब सुप्रीम कोर्ट ने उस अंतरिम रोक को स्थायी कर दिया है.
 
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस भूषण रामाकृष्ण गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की बेंच के सामने बैंकों की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पेश हुए. उन्होंने कहा कि असम में 4 हजार से ज्यादा एटीएम बूथ हैं. हर जगह, हर समय सुरक्षा गार्ड रखना संभव नहीं हो सकता. दुनियाभर में एटीएम सुरक्षा के लिए सीसीटीवी निगरानी को ही व्यवहारिक माना जाता है. एसजी तुषार मेहता ने यह भी बताया कि बैंकों के इस स्टैंड को केंद्रीय वित्त मंत्रालय और रिजर्व बैंक ने भी समर्थन दिया है. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की बातें थोड़ी देर सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने गुवाहाटी हाईकोर्ट के आदेश को निरस्त कर दिया.