Supreme Court On Crackers: सुप्रीम कोर्ट ने आज देश में आतिशबाजी के इस्तेमाल में नियमों के उल्लंघन पर चिंता जताई. कोर्ट ने कहा कि शादी, त्योहारों और विजय जुलूसों में धड़ल्ले से पटाखे चल रहे हैं. हज़ारों-हज़ार पटाखों की लड़ियां जलाई जा रही हैं. जिन पर कोर्ट के आदेश के पालन की ज़िम्मेदारी है, वह भी उसका उल्लंघन कर रहे हैं. कोर्ट ने कहा है कि उसे इस बारे में प्रशासन की जवाबदेही तय करनी होगी.


ध्यान रहे कि सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में कम प्रदूषण वाले ग्रीन क्रैकर्स के निर्माण और बिक्री का आदेश दिया था. इस समय कोर्ट में मुख्य रूप से 2 अर्जियों पर सुनवाई चल रही है. एक अर्ज़ी मामले के मूल याचिकाकर्ताओं की है. इसमें प्रदूषण मुक्त पटाखों के निर्माण में विफलता को देखते हुए आतिशबाजी पर पूर्ण रोक की मांग की गई है. दूसरी अर्ज़ी पटाखा निर्माताओं की है. उन्होंने लाखों श्रमिकों के बेरोजगार हो जाने का हवाला दिया है. उन्होंने मांग की है कि कोर्ट पेट्रोलियम एंड एक्सप्लोसिव सेफ्टी ऑर्गेनाइजेशन (PESO) को पटाखों को मंजूरी देने के आवेदन पर जल्द फैसला लेने के लिए कहे.


आज इस मामले की सुनवाई के दौरान क्रैकर्स मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के लिए पेश वरिष्ठ वकील आत्माराम नाडकर्णी ने कहा कि नियमों की सख्ती से एक उद्योग तबाह हो गया है. लाखों श्रमिकों का रोजगार संकट में है. तमाम निर्माताओं ने नेशनल एनवायरनमेंटलइंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (NEERI) की तरफ से बताए गए फॉर्मूले के आधार पर पटाखों के लिए मंज़ूरी का आवेदन दे रखा है. लेकिन PESO उनमें हानिकारक केमिकल की बात कहते हुए अनुमति नहीं दे रहा है. दूसरी तरफ याचिकाकर्ता के वकील गोपाल शंकरनारायण ने कहा कि पटाखे अभी भी प्रदूषण फैला रहे हैं. उनमें कोई सुधार नहीं हुआ है. उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र सरकार की तरफ से दाखिल हलफनामे में भी बेरियम जैसे हानिकारक पदार्थ को मंजूरी दिलाने की कोशिश की गई है.


सुनवाई के दौरान जस्टिस एम आर शाह और ए एस बोपन्ना की बेंच ने कहा कि वह लोगों के रोजगार को अहम मानता है. लेकिन करोड़ो लोगो के जीवन का अधिकार उससे कहीं महत्वपूर्ण है. ग्रीन पटाखों को लेकर जो आदेश दिया गया था, उसका पूरी तरह पालन होना चाहिए. सिर्फ नियम बना देना पर्याप्त नहीं होता. मामले की सुनवाई बुधवार को जारी रहेगी.


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