Lakhimpur Kheri Case: लखीमपुर हिंसा की SIT जांच से सुप्रीम कोर्ट नाखुश, कहा- रिटायर्ड जज को सौंपेंगे निगरानी का ज़िम्मा
Lakhimpur Kheri Case: यूपी सरकार के जवाब से साफ तौर पर नाखुश नजर आ रही बेंच ने कहा कि जांच जिस तरीके से की जा रही है उससे आरोपी बच सकते हैं. स्टेटस रिपोर्ट बताती है कि जांच में कोई प्रगति नहीं हुई
![Lakhimpur Kheri Case: लखीमपुर हिंसा की SIT जांच से सुप्रीम कोर्ट नाखुश, कहा- रिटायर्ड जज को सौंपेंगे निगरानी का ज़िम्मा Supreme Court says pace of investigation not up to expectation, recommends ex-HC judge for monitoring of UP SIT probe ANN Lakhimpur Kheri Case: लखीमपुर हिंसा की SIT जांच से सुप्रीम कोर्ट नाखुश, कहा- रिटायर्ड जज को सौंपेंगे निगरानी का ज़िम्मा](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2021/03/01/1312c37b827cb327c971d3bced0157f1_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
Lakhimpur Kheri Case: सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वह लखीमपुर खीरी हिंसा मामले की जांच की निगरानी के लिए हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज की नियुक्ति करेगा.कोर्ट ने आज उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से बनाई गई एसआईटी के कामकाज पर असंतोष जताया. जजों ने कहा कि हत्या के सभी मामलों को आपस में मिला दिया जा रहा है. इससे न्याय मिलने की संभावना कम हो सकती है. कोर्ट ने सुनवाई शुक्रवार तक के लिए टालते हुए यह संकेत भी दिया कि जिस पूर्व जज की नियुक्ति निगरानी के लिए की जाएगी, वह इलाहाबाद हाई कोर्ट से नहीं होंगे.
जांच में प्रगति पर सवाल
3 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं किसानों के ऊपर गाड़ी चढ़ा दी गई थी.इससे कुछ किसानों की मृत्यु हो गई थी. घटना के दौरान एक स्थानीय पत्रकार रमन कश्यप भी मारे गए थे. साथ ही उग्र किसानों की पिटाई में कुछ बीजेपी कार्यकर्ताओं की भी मृत्यु हुई थी. वकील शिवकुमार त्रिपाठी ने चीफ जस्टिस एन वी रमना को घटना की जानकारी देते हुए चिट्ठी भेजी थी. उसी पर संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह सुनवाई शुरू की है. मामले की पहली सुनवाई 8 अक्टूबर को हुई थी, जिसमें कोर्ट ने मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा की गिरफ्तारी न होने पर नाराजगी जताई थी.इसके बाद पुलिस सक्रिय हुई और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष को गिरफ्तार किया.
इसके बाद हुई दो सुनवाई में कोर्ट ने गवाहों का मजिस्ट्रेट के सामने जल्द से जल्द बयान दर्ज करवाने, गवाहों को सुरक्षा देने, वीडियो सबूतों और मोबाइल सबूतों की लैब रिपोर्ट जल्द से जल्द लिए जाने जैसे निर्देश दिए थे. आज चीफ जस्टिस एन वी रमना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने सुनवाई के शुरू में ही यूपी सरकार की नई स्टेटस रिपोर्ट पर असंतोष जता दिया. चीफ जस्टिस ने कहा, "हमने आपको 10 दिन का समय दिया. लेकिन आप की स्टेटस रिपोर्ट बताती है कि जांच में कोई प्रगति नहीं हुई है. सिर्फ कुछ गवाहों के बयान दर्ज हुए. लैब रिपोर्ट भी अब तक नहीं आई है."
आरोपियों के मोबाइल पर सवाल
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए चल रही सुनवाई में यूपी सरकार के लिए लंदन से पेश हुए वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने बचाव करते हुए कहा, "लैब ने 15 नवंबर को रिपोर्ट देने की बात कही है. सरकार लगातार फॉरेंसिक लैब के संपर्क में है." इसके बाद कोर्ट ने इस बात पर सवाल उठाया अभी तक 13 आरोपियों में से सिर्फ एक आशीष मिश्रा का ही फोन ज़ब्त किया गया है. बेंच की सदस्य जस्टिस हिमा कोहली ने यूपी के वकील से कहा, "क्या आप यह ऑन रिकॉर्ड कहेंगे कि बाकी आरोपी मोबाइल फोन का इस्तेमाल नहीं करते?" इस पर साल्वे ने कहा, "ऐसा लगता है कि सभी आरोपियों ने अपने फोन फेंक दिए हैं. लेकिन हमारे पास उनके नंबर मौजूद हैं. कॉल डिटेल रिकॉर्ड निकाला जा रहा है."
रिटायर्ड जज करेंगे निगरानी
यूपी सरकार के जवाब से साफ तौर पर नाखुश नजर आ रही बेंच ने कहा कि जांच जिस तरीके से की जा रही है उससे आरोपी बच सकते हैं. जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, "आपकी जांच जिस तरह से हो रही है और जिस तरह से गवाहों के बयान दर्ज कराए जा रहे हैं, उससे पहली नजर में ऐसा लगता है कि एक आरोपी को विशेष प्राथमिकता दी जा रही है." घटना में मारे गए बीजेपी कार्यकर्ता श्याम सुंदर और पत्रकार रमन कश्यप के परिवार की तरफ से भी दो वकीलों ने पक्ष रखा. दोनों ने एसआईटी की जांच पर असंतोष जताया.
इसके बाद तीनों जजों ने काफी देर तक आपस में मंत्रणा की. आखिरकार कोर्ट ने कहा, "हमने यह तय किया है कि जांच की निगरानी के लिए किसी सेवानिवृत्त हाई कोर्ट जज को नियुक्त किया जाए. यह जज इलाहाबाद हाई कोर्ट से नहीं होंगे.हमारी नजर में पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस रंजीत सिंह और जस्टिस राकेश कुमार हैं. पूर्व जज यह सुनिश्चित करेंगे कि तीनों मामलों की जांच सही तरीके से हो और सभी में समय पर चार्जशीट दाखिल हो जाए. यूपी सरकार के वकील हरीश साल्वे इस बात पर सरकार से निर्देश लेने के लिए समय की मांग की. उनके अनुरोध पर सुनवाई को शुक्रवार, 12 नवंबर के लिए टाल दिया गया है.
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