नई दिल्ली: कोरोना के मामले जारी रहने के बावजूद लोगों के मास्क न पहनने पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताई है. बड़े पैमाने पर शादी और राजनीतिक कार्यक्रमों के जारी रहने पर भी कोर्ट ने टिप्पणी की है. यह चर्चा देश के हस्पतालों में कोविड के इलाज की सुविधा पर सुनवाई के दौरान हुई. कोर्ट ने कहा है कि वह 18 दिसंबर को मामले में आदेश जारी करेगा.
देश भर के हस्पतालों में कोरोना के इलाज की व्यवस्था पर सुप्रीम कोर्ट खुद संज्ञान लेकर सुनवाई कर रहा है. लोगों को बेहतर सुविधा देने को लेकर कोर्ट कई निर्देश जारी कर चुका है. इसी सुनवाई के दौरान कोर्ट ने गुजरात के राजकोट के कोविड हस्पताल में हुए अग्निकांड पर संज्ञान लिया था. इस दुर्घटना में 6 मरीजों को मौत हो गई थी. कोर्ट ने गुजरात सरकार से रिपोर्ट मांगने के अलावा देश भर के कोविड हस्पतालों में आग से सुरक्षा पर जानकारी मांगी थी.
गुजरात सरकार ने आज सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उसने आग से सुरक्षा को लेकर कई कदम उठाए हैं. राज्य के कोविड हस्पतालों में 328 फायर सेफ्टी ऑफिसर्स की विशेष ड्यूटी लगाई गई है. कोर्ट ने कहा कि राज्य के 214 कोविड हॉस्पिटल में से 68 को अभी भी अग्निशमन विभाग से नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट नहीं मिला है. राज्य सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए.
इस मसले पर बाकी राज्यों के हलफनामे पर कोर्ट ने असंतोष जताया. दिल्ली,महाराष्ट्र समेत ज़्यादातर राज्यों ने आधी-अधूरी जानकारी दी है. कई राज्यों ने यह जानकारी भी नहीं दी कि उनके यहां कुल कितने विशेष कोविड हॉस्पिटल हैं और उनमें आग से सुरक्षा को लेकर क्या स्थिति है.
सुनवाई के दौरान गुजरात सरकार ने मास्क के मसले पर दाखिल अपनी अपील पर चर्चा की. यह अपील गुजरात हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ दाखिल की गई है. हाई कोर्ट ने मास्क न पहनने वालों से कोविड सेंटर में सेवा लेने के लिए कहा था. राज्य सरकार ने इसे अव्यवहारिक बताया है.
जस्टिस अशोक भूषण, आर सुभाष रेड्डी और एम आर शाह की बेंच ने गुजरात की अपील पर आगे सुनवाई की बात कही. लेकिन जजों ने इस बात पर चिंता जताई कि लोग मास्क नहीं पहन रहे. कोर्ट ने कहा कि बड़ी संख्या ऐसी है जो मास्क पहनने को तैयार ही नहीं है. इस बारे में उपाय किए जाने की ज़रूरत है. सिर्फ इस बात पर संतोष नहीं किया जा सकता कि किसी राज्य ने मास्क न पहनने वालों से 80 या 90 करोड़ रुपया जुर्माना वसूल लिया.
जजों ने शादी और राजनीतिक कार्यक्रमों के आयोजन पर भी चिंता जताई. सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि गुजरात समेत कई राज्यों में अब शादी का शुभ लग्न खत्म हो गया है. इसलिए, शादियों को आयोजन रुका रहेगा. इस पर जस्टिस शाह ने कहा, “जो NRI भारत मे आकर शादी करते हैं. वह लग्न का इंतज़ार नहीं करते. इसलिए, यह मत कहिए कि अभी कोई शादी नहीं होगी.“
मामले में एमिकस क्यूरी की हैसियत से कोर्ट की सहायता कर रहे वकील पवन श्री अग्रवाल ने कोर्ट को बताया कि राजनीतिक कार्यक्रमों में कोविड नियमों के पालन के लिए चुनाव आयोग की भी सहायता ली जा सकती है. उन्होंने इस पर सुझाव दिए हैं. कोर्ट ने उनके सुझावों को रेकपर्ड पर ले लिया.
जजों ने कोविड के इलाज में लगे डॉक्टरों को आराम न मिल पाने पर भी चिंता जताई. उन्होंने कहा कि हर राज्य सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए. डॉक्टर बहुत अहम सेवा दे रहे हैं. उनके स्वास्थ्य की चिंता भी की जानी चाहिए. सुनवाई के अंत मे बेंच ने कहा कि वह तमाम मसलों पर शुक्रवार को आदेश जारी करेगी.
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