नई दिल्लीः कर्नाटक के प्रसिद्ध गोकर्ण महाबलेश्वर मंदिर का प्रशासन सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज बी एन श्रीकृष्णा की अध्यक्षता वाली कमिटी संभालेगी. सुप्रीम कोर्ट ने आज दिये अंतरिम आदेश में कहा है कि कमिटी में उत्तर कन्नड़ जिले के प्रशासनिक अधिकारियों के अलावा धार्मिक मामलों के जानकार भी होंगे. 2008 में बीजेपी की येदियुरप्पा सरकार ने मंदिर को उससे सटे रामचंद्रपुरा मठ का हिस्सा करार दिया था. सरकार ने इस आधार पर मठ को मंदिर का ज़िम्मा सौंप दिया था. उससे पहले मंदिर का प्रशासन एक सरकारी कमिटी चला रही थी. 2018 में हाई कोर्ट ने मठ को मंदिर का प्रशासन सौंपने के आदेश को गलत बताया. तब से विवाद सुप्रीम कोर्ट में है. 


हाई कोर्ट ने रामचंद्रपुरा मठ से मंदिर का नियंत्रण वापस लेते हुए उत्तर कन्नड़ जिले के डिप्युटी कमिश्नर की अध्यक्षता में एक कमिटी बनाई थी. पूर्व सुप्रीम कोर्ट जस्टिस बी एन श्रीकृष्णा को उसका सलाहकार बनाया था. मामला सुप्रीम कोर्ट में आने के बाद हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लग गई थी. मंदिर पर मठ का नियंत्रण बना हुआ था.


आज सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम आदेश देते कमिटी का अध्यक्ष जस्टिस बी एन श्रीकृष्णा को बना दिया है. कमिटी 15 दिनों में काम संभाल लेगी. कोर्ट ने कहा है कि यह व्यवस्था अंतरिम है. वह बाद में मामले पर विस्तृत सुनवाई करेगा. उस सुनवाई में कर्नाटक के हिन्दू मंदिरों की व्यवस्था को लेकर 1997 में बने कानून और 2008 में गोकर्ण महाबालेश्वर मंदिर रामचंद्रपुरा मठ को सौंपने वाले आदेश की वैधता पर विचार किया जाएगा.


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