(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Reservation in Promotion: सुप्रीम कोर्ट ने कहा- प्रमोशन में आरक्षण से पहले आंकड़े जुटाना जरूरी, कोर्ट कोई पैमाना तय नहीं करेगा
Supreme Court on Reservation in Promotion: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र और राज्य आंकलन करें कि उनके पास कितने रिक्त पद है जिन पर अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों को आरक्षण दिया जा सकता है.
Reservation in Promotion to SC/ST: प्रमोशन में आरक्षण मामले पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. प्रमोशन में आरक्षण से पहले उच्च पदों पर प्रतिनिधित्व के आंकड़े जुटाना ज़रूरी है. कोर्ट अपनी तरफ से इसके लिए कोई पैमाना तय नहीं करेगा. उच्च पदों में प्रतिनिधित्व का एक तय अवधि में मूल्यांकन किया जाना चाहिए. यह अवधि क्या होगी, इसे केंद्र सरकार तय करे.
कुल मिलाकर यही है कि फिलहाल 2006 के नागराज फैसले और 2018 के जरनैल सिंह फैसले में रखी गई शर्तों को सुप्रीम कोर्ट ने ढीला नहीं किया है. केंद्र और राज्यों से जुड़े आरक्षण के मामलों में अधिक स्पष्टता के लिए 24 फरवरी से सुनवाई शुरू होगी. सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के लिए पदोन्नति में आरक्षण की शर्तों को कम करने से इनकार कर दिया. आवधिक समीक्षा के बाद प्रतिनिधित्व की अपर्याप्तता के आंकलन के अलावा मात्रात्मक डेटा का संग्रह अनिवार्य है.
समीक्षा अवधि केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित की जानी चाहिए
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि केंद्र और राज्य इस बात का आंकलन करें कि उनके पास कितने रिक्त पद है जिन पर अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों को आरक्षण दिया जा सकता है.
दरअसल, साल 2018 में जो फैसला आया था, उससे राज्यों को कुछ आवश्यक शर्तों को पूरा करने के बाद SC/ST को पदोन्नति में आरक्षण देने की अनुमति मिली थी. लेकिन उसके बाद भी राज्य फैसले में स्पष्टता के अभाव में आरक्षण लागू नहीं कर पा रहे हैं. केंद्र ने कोर्ट से स्पष्टता और थोड़ी रियायत की प्रार्थना की थी.
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