नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने आज कहा कि जेडीयू (जनता दल यूनाइटेड) के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव बतौर सांसद उन्हें मिलने वाले वेतन, भत्ते और दूसरी सुविधायें नहीं ले सकते हैं. लेकिन वो सरकारी बंगले में रह सकते हैं. शरद यादव को राज्य सभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित किया जा चुका है जिसे उन्होंने दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दे रखी है. सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 15 दिसंबर को दिए गए हाई कोर्ट के आदेश में संशोधन कर दिया है. हाई कोर्ट के इसी आदेश में शरद यादव को उनकी याचिका लंबित रहने के दौरान वेतन, भत्ते और दूसरी सुविधायें प्राप्त करने और सरकारी बंगले में रहने की अनुमति दी गई थी.


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न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की बेंच ने अपने आदेश में शरद यादव को हाई कोर्ट के अंतरिम आदेश के अनुसार सरकारी बंगले में रहने की अनुमति दे दी है. सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सभा में जेडीयू के सांसद रामचन्द्र प्रकाश सिंह की याचिका पर यह आदेश दिया. सिंह ने हाई कोर्ट के अंतरिम आदेश को चुनौती दी थी. इस पर 18 मई को शीर्ष अदालत सुनवाई के लिये तैयार हो गयी थी और उसने शरद यादव को नोटिस जारी किया था. सिंह ने उन्हें अयोग्य करार देने का अनुरोध करते हुये कहा था कि उन्होंने पार्टी के निर्देशों का उल्लंघन करते हुये पटना में विपक्षी दलों की सभा में शिरकत की.


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इस मामले में आज सुनवाई शुरू होते ही शरद यादव के वकील ने कहा कि वो अपना वेतन, भत्ता और अन्य सुविधायें छोड़ने के लिये तैयार है, लेकिन उन्हें हाई कोर्ट में लंबित याचिका का निबटारा होने तक सरकारी बंगले में रहने दिया जाये. बेंच ने यादव के वकील से सवाल किया कि राज्य सभा के सभापति द्वारा उन्हें अयोग्य घोषित किये जाने के बाद हाई कोर्ट कैसे उन्हें वेतन और भत्तों के भुगतान का निर्देश दे सकता है. बेंच ने कहा, ‘‘हम वेतन और भत्ते के भुगतान करने संबंधी हाई कोर्ट के निर्देश में संशोधन कर रहे हैं. जहां तक सरकारी बंगले का सवाल है तो हम उस बिन्दु पर कुछ नहीं कह रहे हैं और वो अपनी याचिका लंबित होने के दौरान इसमें रह सकते हैं.’’


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सिंह की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रंजीत कुमार ने कहा कि हाई कोर्ट का आदेश संशोधित किया जाना चाहिए क्योंकि हाई कोर्ट उन्हें वेतन भत्ते का भुगतान करने और नई दिल्ली में सरकारी आवास में रहने का निर्देश नहीं दे सकता क्योंकि उन्हें पिछले साल चार दिसंबर को राज्य सभा के सभापति ने अयोग्य घोषित कर दिया है. बेंच ने निर्देश दिया कि हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच याचिका पर जुलाई में सुनवाई करे और इस मामले का जितनी जल्दी हो सके फैसला करे. हाई कोर्ट ने 15 दिसंबर, 2017 के अपने आदेश में शरद यादव को राज्य सभा सांसद के रूप में अयोग्य घोषित किये जाने पर अंतरिम रोक लगाने से इंकार कर दिया था.


हाई कोर्ट ने शरद यादव द्वारा अपनी अयोग्यता को विभिन्न आधार पर चुनौती देने वाली याचिका पर यह अंतरिम आदेश दिया था. यादव का कहना था कि राज्य सभा के सभापति ने चार दिसंबर को उन्हें और एक अन्य सासंद अली अनवर को अयोग्य घोषित करने का फैसला सुनाने से पहले अपना पक्ष रखने के लिये कोई अवसर प्रदान नहीं किया. इन दोनों सांसदों को दल बदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य घोषित किया गया था.


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जेडीयू अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा पिछले साल जुलाई में बिहार के पू्र्व सीएम लालू यादव की पार्टी आरजेडी (राष्ट्रीय जनता दल) और कांग्रेस के साथ गठबंधन तोड़कर बीजेपी (भारतीय जनता पार्टी) से हाथ मिलाने पर शरद यादव विपक्ष के साथ मिल गये थे. शरद यादव 2016 में राज्य सभा के लिये चुने गए थे और उनका कार्यकाल जुलाई 2022 तक है, जबिक अली अनवर का कार्यकाल अप्रैल में पूरा हो गया.