SC slams Azam Khan: सुप्रीम कोर्ट ने समाजवादी पार्टी (सपा) के सीनियर नेता और उत्तर प्रदेश (यूपी) के पूर्व मंत्री आजम खान को रामपुर में सरकारी जमीन का इस्तेमाल मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट के लिए करने को लेकर कड़ी फटकार लगाई है. सर्वोच्च अदालत ने इसके अलावा सरकार की ओर से उनके ट्रस्ट से जमीन वापस लिए जाने के फैसले को भी सही ठहराया. 


चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा की बेंच ने मंगलवार (14 अक्टूबर, 2024) को राज्य सरकार के आदेश को चुनौती देने वाली ट्रस्ट की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि रिकॉर्ड में दर्ज तथ्यों से पता चलता है कि अधिकारों का दुरुपयोग करते हुए जमीन का आवंटन किया गया था. आजम खान ने शहरी विकास और अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री रहते हुए इस जमीन का आवंटन किया था. उन्होंने सरकारी जमीन को परिवार के ट्रस्ट के लिए पट्टे पर दे दिया था, जिसके वह जीवन भर के लिए सदस्य हैं.


आजम खान की भूमिका पर जताई चिंता


बेंच की ओर से कहा गया, "पट्टे की व्यवस्था शुरू में सरकारी संस्थान के लिए थी. फिर भी इसे प्राइवेट ट्रस्ट को सौंप दिया गया." सुप्रीम कोर्ट ने इसके साथ ही सवाल पूछा कि सरकारी संस्थान के लिए तय पट्टे को निजी ट्रस्ट को कैसे सौंपा जा सकता है? आवंटन प्रक्रिया में आजम खान की मंत्री की भूमिका ने गंभीर नैतिक चिंताएं पैदा की हैं.


वकील कपिल सिब्बल ने क्या दिया तर्क? 


आजम खान की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने तर्क दिया कि पट्टे को बंद करने से पहले कोई नोटिस नहीं मिला था. ट्रस्ट को जवाब देने के लिए पहले नोटिस दिया जाना चाहिए था. अदालत ने भी इसपर कह दिया कि मामले में नोटिस जारी करना कोई बड़ा मुद्दा तो नहीं है. सीजेआई ने कपिल सिब्बल से कहा कि ये तथ्य बेहद गंभीर है. वह इसे यहीं छोड़ देते हैं. 


यूपी शिक्षा विभाग करेगा व्यवस्था


सीजेआई की बात पर कपिल सिब्बल ने भी जवाब में कहा कि ये ट्रस्ट किसी निजी लाभ के लिए नहीं हैं. ट्रस्ट पिछड़ों और वंचितों के बच्चों के लिए शिक्षा का इंजताम सिर्फ 20 रुपए में करता है. सरकार के फैसले से 300 छात्र बिना स्कूल के रह जाएंगे. बेंच ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को सही बताते हुए कहा कि प्रदेश का शिक्षा विभाग उन बच्चों के लिए पढ़ाई की व्यवस्था करेगा. 


सीतापुर जेल में बंद हैं आजम खान


सपा के सीनियर नेता आजम खान फिलहाल यूपी की सीतापुर जेल में बंद हैं. वह जबरन बेदखल करने सहित विभिन्न मामलों में दोषी ठहराए जा चुके हैं. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 18 मार्च को ट्रस्ट की याचिका को खारिज कर दिया था. जिस जमीन पर ट्रेनिंग और रिसर्च इंस्टीट्यूट बना था उसे साल 2015 में लीज एग्रीमेंट के तहत संस्थान को दिया गया था. स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) की जांच के बाद यूपी सरकार ने 2023 में इस रिलीज को कैंसिल कर दिया था.


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