SC on EC decision: मतदान बूथ में मतदाताओं की अधिकतम संख्या बढ़ाए जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से लिखित हलफनामा दाखिल करने कहा है. कोर्ट में दाखिल याचिका में किसी बूथ में अधिकतम मतदाता संख्या 1200 से बढ़ा कर 1500 करने को चुनौती दी गई है. इसे मतदाताओं के हितों के खिलाफ बताया गया है.


इंदु प्रकाश सिंह नाम के याचिकाकर्ता का कहना है कि प्रति बूथ वोटर की अधिक संख्या से वहां लंबी लाइन लगेगी. इससे मतदाता वोटिंग के प्रति हतोत्साहित होगा. चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच में हुई सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग ने याचिका का विरोध किया. आयोग के लिए पेश वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह ने कहा कि इस तरह की याचिकाएं लोगों में भ्रम पैदा करती हैं.

 


चुनाव आयोग के वकील का जवाब
चुनाव आयोग के वकील ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि यह व्यवस्था 2019 से है. इसे अब चुनौती देने का कोई आधार नहीं. उन्होंने कहा कि हर बूथ में मतदाता संख्या तय करने से पहले राजनीतिक दलों से चर्चा भी की जाती है. इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि वह सिर्फ मतदाताओं की सुविधा को लेकर चिंतित हैं. वह जानना चाहते हैं कि अगर वोटर की संख्या 1500 से ज़्यादा हो तो आयोग किस तरह काम करता है. क्या मतदान केंद्र में अतिरिक्त पोलिंग बूथ बनाए जाते हैं? कोर्ट ने आयोग से कहा कि वह 3 सप्ताह में लिखित हालत नामा दाखिल करे. जनवरी के आखिरी सप्ताह में मामले पर आगे सुनवाई होगी.

 

क्या है मनिंदर सिंह का तर्क?
बता दें कि इंदु प्रकाश सिंह की ओर से दायर जनहित याचिका में अगस्त में निर्वाचन आयोग की ओर से जारी दो विज्ञप्ति को चुनौती दी गई है, जिसमें भारत भर में प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में प्रति मतदान केंद्र मतदाताओं की संख्या बढ़ाने की बात कही गई है. मनिंदर सिंह ने तर्क दिया है कि प्रति मतदान केंद्र मतदाताओं की संख्या बढ़ाने का निर्णय मनमाना है और यह किसी भी डाटा पर आधारित नहीं है.