Allahabad High Court Justice Shekhar Yadav Controversy: इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस शेखर कुमार यादव की ओर से बहुसंख्यकों को लेकर दिए भाषण के बाद उठा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. इस मामले में जस्टिस यादव की मुसीबतें बढ़ती नजर आ रहीं हैं. दरअसल, इनके इस भाषण का संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट से पूरी जानकारी मांगी है.


सुप्रीम कोर्ट को इस मामले का पता अखबार में छपी एक रिपोर्ट के जरिये चला. इसके बाद सर्वोच्च न्यायालय ने इलाहाबाद हाई कोर्ट से इस संबंध में डिटेल रिपोर्ट देने को कहा है. CJAR (कैंपेन फॉर ज्यूडिशल अकाउंटिबिलिटी एंड रिफॉर्म) ने CJI संजीव खन्ना को पत्र लिखकर जस्टिस यादव के खिलाफ इनहाउस जांच की मांग की है.


प्रशांत भूषण ने कार्यक्रम में शामिल होने को ही बताया गलत


CJAR के संयोजक एडवोकेट प्रशांत भूषण ने पत्र में कहा, “जस्टिस यादव ने यूसीसी का समर्थन करते हुए ऐसा भाषण दिया जो विवादास्पद है. VHP के कार्यक्रम में शामिल होना और उनके बयान न्यायिक अनुचितता का उल्लंघन है.”


कपिल सिब्बल ने की जस्टिस के खिलाफ महाभियोग लाने की मांग


वहीं, वरिष्ठ वकील और राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने जस्टिस शेखर कुमार यादव के खिलाफ महाभियोग की मांग की है. सिब्बल ने कहा, “वह चाहते हैं कि जो सत्ता-पक्ष के लोग हैं, वो हमारे साथ जुड़ें, और हम इकट्ठा होकर इस जज का महाभियोग करें. न्यायाधीश का इस तरह का भाषण न्यायपालिका की गरिमा को ठेस पहुंचाता है. इससे जनता का विश्वास कमजोर हो सकता है. महाभियोग प्रस्ताव के अलावा कोई और रास्ता नहीं है. यह हर मायने में नफरत फैलाने वाला भाषण है.”


क्या कहा था जस्टिस शेखर कुमार यादव ने?


दरअसल, 8 दिसंबर 2024 को इलाहाबाद हाईकोर्ट में विश्व हिंदू परिषद (VHP) की कानूनी इकाई और हाईकोर्ट इकाई का एक प्रांतीय सम्मेलन था. इसमें जस्टिस शेखर कुमार यादव ने कहा था कि समान नागरिक संहिता (UCC) का मुख्य उद्देश्य सामाजिक सद्भाव, लैंगिक समानता और धर्मनिर्पेक्षता को बढ़ावा देना है. उन्होंने आगे कहा था कि हिन्दुस्तान में रहने वाले बहुसंख्यक के अनुसार ही देश चलेगा. जस्टिस यादव ने अपने भाषण में आगे कहा, “एक से ज़्यादा पत्नी रखने, तीन तलाक़ और हलाला के लिए कोई बहाना नहीं है और अब ये प्रथाएं नहीं चलेंगी.” अगले दिन इस भाषण का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया.


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