नई दिल्ली: लोकपाल मामले पर आज हुई एक सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार को निर्देश दिया कि सितंबर 2018 से अभी तक लोकपाल खोज समिति के संबंध में उठाए गए कदमों की जानकारी सौंपे. कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल से कहा कि वह इस संबंध में 17 जनवरी तक हलफनामा दायर करें.


चीफ जस्टिस रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति एस. के. कौल की पीठ ने कहा, ‘‘हलफनामे में आपको लोकपाल खोज समिति गठित करने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी सुनिश्चित करनी होगी.’’ जब अटॉर्नी जनरल ने कहा कि सितंबर, 2018 से अभी तक कई कदम उठाए गए हैं, तब पीठ ने उनसे पूछा, ‘‘आपने अभी तक क्या किया है. बहुत वक्त लिया जा रहा है.’’

इसपर वेणुगोपाल ने फिर दोहराया कि कई कदम उठाए गए हैं. फिर पीठ ने नाराज होते हुए कहा, ‘‘सितंबर 2018 से उठाए गए सभी कदमों को रिकॉर्ड पर लाएं.’’ एनजीओ कॉमन कॉज की ओर से पेश हुए अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि सरकार ने खोज समिति के सदस्यों के नाम तक अपनी वेबसाइट पर अपलोड नहीं किये हैं.

क्या है होता है लोकपाल
लोकपाल की नियुक्ति होने के बाद उसे भ्रष्टाचार के मामले में प्रधानमंत्री से लेकर छोटे मंत्री तक पर सुनवाई करने का अधिकार होगा. लोकपाल के पास विशिष्ट शक्तियां होंगी जिसके माध्यम से वह सेना को छोड़कर किसी के भी खिलाफ कार्रवाई कर सकेगा. लोकपाल भ्रष्टाचारियों की संपत्ति भी कुर्क भी कर सकता है. साल 2013 में अन्ना आंदोलन के बाद देश में यह कानून बना. हालांकि, अभी तक एक भी लोकायुक्त की नियुक्ति नहीं हुई है.

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