सुप्रीम कोर्ट ने सभी को सामान आधार पर गुजरा भत्ता देने के अनुरोध वाली याचिका पर केन्द्र से मांगा जवाब
पीठ ने केन्द्रीय गृह मंत्रालय, विधि और न्याय मंत्रालय के अलावा महिला और बाल विकास मंत्रालय को नोटिस जारी किया.याचिका में कहा गया कि सरकार सभी नागरिकों को लैंगिक, धार्मिक भेदभाव के बिना गुजारा भत्ता देने में विफल रही है.याचिका में ये भी कहा गया है कि अब सरकार को इस ओर ध्यान देकर प्रभावी कदम उठाने की ज़रूरत है,
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से बुधवार को उस याचिका पर अपना रुख स्पष्ट करने को कहा, जिसमें वैवाहिक विवादों में रखरखाव और गुजारा भत्ता ‘‘लैंगिक और धर्म’’ के आधार पर भेदभाव किए बिना देने का अनुरोध किया गया है. चीफ जस्टिस एस. ए. बोबडे के नेतृत्व वाली एक पीठ ने केन्द्रीय गृह मंत्रालय, विधि एवं न्याय मंत्रालय और महिला और बाल विकास मंत्रालय को नोटिस जारी करते हुए भाजपा नेता एवं वकील अश्विनी उपाध्याय द्वारा दायर की गई याचिका पर जवाब मांगा. जस्टिस ए. एस. बोपन्ना, जस्टिस वी. रामा सुब्रमण्यन भी इस पीठ में शामिल थे.
पीठ ने सुनी वरिष्ठ वकील की दलील
पीठ ने उपाध्याय की ओर से पेश हुई वरिष्ठ वकील मीनाक्षी अरोड़ा की दलील सुनी और कहा, ‘‘ हम पूरी सर्तकता के साथ नोटिस जारी कर रहे हैं.’’ याचिका में रखरखाव और गुजारा भत्ता देने से जुड़ी प्रचलित विसंगतियों को दूर करने और उसे धर्म, नस्ल, जाति, लिंग या जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव के बिना सभी नागरिकों के लिए एक समान बनाने के लिए सरकार को उचित कदम उठाने का निर्देश देने का अनुरोध किया है.
याचिका में केंद्र सरकार पर साधा गया निशाना
याचिका में कहा गया कि संविधान में स्पष्ट प्रावधान होने के बावजूद भी, केन्द्र सरकार सभी नागरिकों को लैंगिक, धार्मिक भेदभाव के बिना गुजारा भत्ता देने में विफल रही है. साथ ही कहा गया है कि केंद्र सरकार को जल्द से जल्द इस ओर ध्यान देना चाहिए. याचिका में कहा गया है कि अब सरकार को इस ओर ध्यान देकर प्रभावी कदम उठाने की ज़रूरत है, ताकि आने वाले समय में किसी भी व्यक्ति को इस तरह की परेशानियों का सामना ना करना पड़े.
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