नई दिल्ली: नेशनल कांफ्रेंस नेता उमर अब्दुल्ला की हिरासत पर सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू कश्मीर प्रशासन से जवाब मांगा है. उमर की हिरासत के खिलाफ उनकी बहन सारा अब्दुल्ला पायलट ने कोर्ट में याचिका दायर की है. सारा ने अपने भाई को पब्लिक सेफ्टी एक्ट के तहत हिरासत में लिए जाने को अवैध बताया है.
जस्टिस अरुण मिश्रा और इंदिरा बनर्जी की बेंच के सामने सारा की तरफ से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने दलीलें रखी. सिब्बल ने कहा उमर पिछले 6 महीने से हिरासत में हैं. उनकी हिरासत 5 फरवरी को खत्म होने वाली थी. लेकिन उससे पहले उन्हें PSA के तहत हिरासत में ले लिया गया.
इस पर जस्टिस मिश्रा ने पूछा कि क्या आपने या किसी और ने इसी मसले पर जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की है. सिब्बल के इनकार करने के बाद कोर्ट ने याचिका पर नोटिस जारी कर दिया. कोर्ट ने शुरू में 3 हफ्ते बाद अगली सुनवाई की बात कही. सिब्बल के बहुत ज़्यादा आग्रह करने पर कहा, “सुनवाई 2 मार्च को होगी.“
PSA के तहत 6 महीने तक हो सकती है हिरासत
PSA के तहत शुरू में 3 महीने की हिरासत होती है. इसे 6 महीने तक के लिए बढ़ाया जा सकता है. सिब्बल ने कोर्ट के सामने दलील दी कि उमर की विरासत बढ़ाने के पीछे स्थानीय प्रशासन ने दलील दी है कि वह बहुत लोकप्रिय हैं और भारत के खिलाफ लोगों को भड़का सकते हैं. इस पर कोर्ट ने उन्हें रोकते हुए कहा, “आज यहां सरकार की तरफ से कोई नहीं है. हम नोटिस जारी कर रहे हैं. आप अगली सुनवाई में दलील रखिएगा."
सारा अब्दुल्ला ने दायर की थी हैबियस कॉरपस
सारा अब्दुल्ला की तरफ से हैबियस कॉरपस यानी बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दाखिल की गई है. मांग है कि कोर्ट उमर को अपने सामने पेश करने का आदेश दे और उसके बाद उन्हें रिहा कर दे. याचिका में उमर की हिरासत को अवैध बताया गया है. कहा गया है कि यह व्यक्तिगत स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का हनन है. याचिका में यह भी कहा गया है कि उमर राज्य के एक पूर्व मुख्यमंत्री और बहुत सम्मानित नेता हैं. उन्होंने हमेशा भारत के हित में काम किया है. इसके बावजूद सरकार अपने विरोधियों की आवाज को दबाना चाहती है.
गौरतलब है कि राज्य की एक और पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती 5 अगस्त से हिरासत में हैं. उनकी हिरासत को भी पीएसए के तहत 3 महीने के लिए बढ़ा दिया गया है. लेकिन कभी तक उनकी तरफ से याचिका सुनवाई कोर्ट में दाखिल नहीं हुई है.
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