नई दिल्लीः धर्म परिवर्तन कर निकाह करने वाली हदिया उर्फ़ अखिला के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उसके पिता, केरल सरकार और NIA को नोटिस जारी किया है. केरल हाई कोर्ट ने निकाह को रद्द घोषित कर हदिया को उसके पिता के घर वापस भेज दिया था.
इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हदिया के पति शफीन का कहना है हदिया की उम्र 24 साल है. उसने अपनी मर्जी से धर्म परिवर्तन कर उससे शादी की. कोर्ट इसमें दखल नहीं दे सकता. शफीन ने हदिया को अपने पास भेजने की मांग की है.
क्या है पूरा मामला :-
केरल के वाइकोम की रहने वाली अखिला तमिलनाडू के सलेम में होम्योपैथी की पढ़ाई कर रही थी. इसके पिता के एम अशोकन का आरोप है कि हॉस्टल में उसके साथ रहने वाली 2 मुस्लिम लड़कियों ने उसे धर्म परिवर्तन के लिए उकसाया. अखिला ने इस्लाम कबूल कर अपना नाम हदिया रख लिया. जनवरी 2016 में वो अपने परिवार से अलग हो गई.
धर्म परिवर्तन के खिलाफ हदिया के पिता की याचिका केरल हाई कोर्ट ने खारिज कर दी. उन्होंने दिसंबर 2016 में हाई कोर्ट में दोबारा याचिका दाखिल की. उन्होंने दावा किया कि उनकी बेटी गलत हाथों में पड़ गई है. उसे IS का सदस्य बना कर सीरिया भेजा जा सकता है. उन्होंने बेटी को अपने पास वापस भेजने की मांग की.
हाई कोर्ट ने हदिया को कोर्ट में पेश होने को कहा. 19 दिसंबर को वो शफीन जहां के साथ कोर्ट में पेश हुई और बताया कि दोनों ने कुछ दिन पहले निकाह किया है. दोनों पक्ष के वकीलों की दलील के बाद कोर्ट ने शादी के हालात को शक भरा माना. हदिया को उसके पिता के पास भेज दिया गया.
हाई कोर्ट ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी यानी NIA से भी पूरे मसले पर रिपोर्ट मांगी. NIA ने बताया कि केरल में कट्टरपंथी समूह लोगों के धर्म परिवर्तन की कोशिश में लगे हैं. साथ ही वो ताज़ा मुसलमान बने लोगों को जिहाद के नाम पर अफगानिस्तान और सीरिया भी भेज रहे हैं. हदिया के मामले में भी NIA ने ऐसा होने की आशंका जताई.
हाई कोर्ट ने शादी की परिस्थितियों को भी देखा. कोर्ट ने पाया कि अशोकन की नयी याचिका के बाद जल्दबाज़ी में शादी करवाई गई. ये साफ हुआ कि हदिया को अपने पति के बारे में कोई जानकारी नहीं थी. पति और हदिया का धर्म परिवर्तन कराने वाली महिला की संदिग्ध और आपराधिक गतिविधियों की बात भी कोर्ट के सामने आई.
इसके अलावा कोर्ट ने हदिया की मानसिक स्थिति जानने की भी कोशिश की. सुनवाई कर रहे दोनों जज उससे व्यक्तिगत रूप से मिले. जजों का निष्कर्ष था कि उसका दिमाग अपने काबू में नहीं है. उस पर कट्टरपंथ का इतना असर है कि वो सही-ग़लत सोचने की स्थिति में नहीं है.
इस साल 25 मई को हाई कोर्ट ने निकाह को अवैध घोषित करते हुए रद्द कर दिया. कोर्ट ने माना कि इस शादी की कानून की नज़र में कोई अहमियत नहीं है. जजों ने अपने आदेश में लिखा है कि अगर कोई सोचने-समझने की स्थिति में न हो तो उसके अभिभावक की भूमिका निभाना हमारी कानूनी ज़िम्मेदारी है. इसी के तहत हम लड़की को उसके पिता के पास वापस भेज रहे हैं.
सुप्रीम कोर्ट में क्या हुआ :-
आज मामला चीफ जस्टिस जे एस खेहर और डी वाई चंद्रचूड़ के सामने लगा. शफीन जहां की तरफ से कपिल सिब्बल और इंदिरा जयसिंह ने हाई कोर्ट का आदेश निरस्त करने की मांग की. इसका अशोकन की वकील माधवी दीवान ने कड़ा विरोध किया.
दोनों जजों ने हाई कोर्ट के फैसले में लिखे गए तथ्यों के आधार पर सिब्बल और इंदिरा जयसिंह से कड़े सवाल किए. हालांकि, उन्होंने मामले पर विस्तृत सुनवाई को ज़रूरी मानते हुए केरल सरकार, NIA और हदिया के पिता को नोटिस जारी कर दिया. अगली सुनवाई 16 अगस्त को होगी.