लाजपत नगर बम ब्लास्ट मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनाई सजा, चार आरोपियों को आजीवन कारावास
Lajpat Nagar Bomb Blast Case: सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि इस मामले में कई साल तक ट्रायल चला, ऐसे मामलों को जल्द सुनने की जरूरत है. बम धमाके में 13 लोगों की मौत हुई थी.
Lajpat Nagar Bomb Blast Case: दिल्ली के मशहूर लाजपत नगर मार्केट में बम धमाके के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सजा सुनाई है. सुप्रीम कोर्ट की तरफ से चार दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है. जिन्होंने इस बम धमाके को अंजाम दिया और भारत के खिलाफ साजिश रचने का काम किया. लाजपत नगर में हुए बम धमाके में 13 लोगों की मौत हुई थी और 38 लोग इसमें घायल हुए थे. इस घटना के 27 साल बाद कोर्ट ने आरोपियों को सजा सुनाई है. हालांकि याचिकाकर्ताओं की तरफ से दोषियों को मौत की सजा देने की मांग की गई थी.
चार दोषियों को सुनाई गई सजा
सुप्रीम कोर्ट में इस मामले को लेकर दोनों तरफ से दलीलें रखी गईं, मौत की सजा की मांग पर सुप्रीम कोर्ट संतुष्ट नहीं हुआ और आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई. 21 मई, 1996 को हुए विस्फोट में कई निर्दोष लोगों की मौत हो गई थी. जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संजय करोल की बेंच ने अपने 190 पेज के फैसले में चार दोषियों- मोहम्मद नौशाद, मिर्जा निसार हुसैन उर्फ नाजा, मोहम्मद अली भट्ट उर्फ किल्ली और जावेद अहमद खान को फांसी की सजा से राहत देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई.
मौत की सजा को कम किए जाने के पीछे इस मामले में हुई देरी का तर्क दिया गया. इस मामले में 27 साल का वक्त लगा, कोर्ट में करीब 14 साल तक ट्रायल पूरा नहीं हो पाया. जिसका तर्क देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाने की जगह आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने माना कि ये केस रेयरेस्ट ऑफ रेयर कैटेगरी में आता है.
सुप्रीम कोर्ट ने जताई नाराजगी
बम धमाके की ये घटना 21 मई, 1996 को हुई थी. इसके बाद ट्रायल कोर्ट ने 22 अप्रैल, 2010 को दोषियों को मौत की सजा सुनाई. यानी करीब 13 साल पहले इस मामले में फैसला सुनाया गया था, जिसके बाद बाकी अदालतों में ट्रायल चलता रहा. अब सुप्रीम कोर्ट ने बिना किसी छूट के जीवन खत्म होने तक दोषियों को कारावास की सजा सुनाई है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरोपी अगर जमानत पर हैं, तो हैं संबंधित अदालत के समक्ष तुरंत आत्मसमर्पण करें. इसके अलावा उनके जमानत बांड रद्द कर दिए गए हैं. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल में हुई देरी को लेकर भी नाराजगी जताई. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों की तुरंत सुनवाई होनी चाहिए. खासतौर पर जब ये राष्ट्रीय सुरक्षा और आम आदमी से जुड़ी हो.
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