Supreme Court On Mohd Faizal Case: लक्षद्वीप के सांसद मोहम्मद फैजल को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है. हत्या के प्रयास वाले केस में दोषसिद्धि और सजा को निलंबित करने के केरल हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (22 अगस्त) को रद्द कर दिया. हाई कोर्ट के आदेश के बाद ही फैजल की लोकसभा सदस्यता बहाल हुई थी. 


हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने मोहम्मद फैजल को अंतरिम राहत देते हुए कहा है कि हाई कोर्ट नए सिरे से सुनवाई कर 6 हफ्ते में फैसला ले. तब तक पुराने फैसले के आधार पर फैजल को मिल रहे लाभ जारी रहेंगे.


जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की बेंच मामले पर सुनवाई कर रही थी. बेंच ने हालांकि सांसद को अयोग्यता की किसी संभावना से बचा लिया और कहा कि पूर्व आदेश के तहत संरक्षण छह हफ्ते तक जारी रहेगा. हाई कोर्ट को इस अवधि में लक्षद्वीप प्रशासन की नई याचिका पर फैसला करना होगा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामले में सांसद मोहम्मद फैजल की दोषसिद्धि, सजा को निलंबित करने में केरल हाई कोर्ट का दृष्टिकोण त्रुटिपूर्ण था.


क्या है पूरा मामला?


2009 के लोकसभा चुनाव के दौरान दिवंगत केंद्रीय मंत्री पीएम सईद के दामाद मोहम्मद सलीह की हत्या के प्रयास के आरोप में लक्षद्वीप के कवरत्ती में एक सत्र अदालत ने 11 जनवरी, 2023 को फैजल और तीन अन्य को 10-10 साल सश्रम कारावास की सजा सुनाई थी और एक-एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया था. इस आदेश को फैजल ने केरल हाई कोर्ट में चुनौती दी थी. हाई कोर्ट ने 25 जनवरी को फैजल की दोषसिद्धि और सजा को निलंबित कर दिया था.


क्या कहा था हाई कोर्ट ने?


हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि वह निचली अदालत के आदेश के खिलाफ एनसीपी नेता की अपील का निपटारा होने तक उनकी दोषसिद्धि और सजा को निलंबित कर रहा है. इसमें कहा गया है कि ऐसा नहीं करने से उनकी ओर से खाली की गई सीट पर दोबारा चुनाव होगा जिससे सरकार और जनता पर वित्तीय बोझ पड़ेगा.


लक्षद्वीप प्रशासन ने हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया और 30 जनवरी को शीर्ष अदालत लक्षद्वीप प्रशासन की याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत हो गई. सुप्रीम कोर्ट ने 29 मार्च को हाई कोर्ट के आदेश के बाद सदस्यता बहाल करने की लोकसभा सचिवालय की अधिसूचना के मद्देनजर संसद सदस्य के रूप में अपनी अयोग्यता के खिलाफ फैजल की अलग याचिका का निपटारा कर दिया था.


(भाषा इनपुट के साथ)


यह भी पढ़ें- क्या बिहार बन गया है पत्रकारों के लिए 'फील्ड ऑफ डेथ', जानिए राजदेव रंजन से लेकर विमल यादव तक की कहानी