Supreme Court: ED की तरफ से दर्ज केस में फंसे लोगों को आज सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से तगड़ा झटका लगा है. कोर्ट ने गिरफ्तारी, रेड, समन, बयान समेत PMLA एक्ट में ED को दिए गए सभी अधिकारों को सही ठहराया है. कोर्ट ने यह भी कहा है कि ECIR यानी ED की तरफ से दर्ज केस की कॉपी आरोपी को देना ज़रूरी नहीं है. गिरफ्तारी के समय सिर्फ उसकी वजह बता देना काफी है.


जस्टिस ए.एम खानविलकर (A. M. Khanwilkar), दिनेश माहेश्वरी (Dinesh Maheshwari) और सी.टी रविकुमार की बेंच ने कानून में फाइनांस बिल (Finance Act) के ज़रिए किए गए बदलाव का मसला 7 जजों की बेंच को भेज दिया है. लेकिन इसका ED की तरफ से दर्ज मुकदमों पर फिलहाल कोई असर नहीं पड़ेगा. कोर्ट ने साफ किया है कि जिन लोगों को मामले की सुनवाई के दौरान कोई अंतरिम राहत मिली थी. वह सिर्फ 4 हफ्ते तक जारी रहेगी. उसके बाद सभी याचिकाकर्ता उचित फोरम में ज़मानत या दूसरी किसी राहत का प्रयास करें.


242 याचिकाओं का आज निपटारा


सुप्रीम कोर्ट के 3 जजों की बेंच ने कुल 242 याचिकाओं का आज निपटारा किया. इन याचिकाओं में प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉड्रिंग एक्ट यानी PMLA के प्रावधानों को चुनौती दी गई थी. याचिकाकर्ताओं ने इन प्रावधानों को कानून और संविधान के खिलाफ बताया गया था. कहा गया है कि इस कानून में गलत तरीके से गिरफ्तारी होती है. अधिकारियों को मनमाने अधिकार दिए गए हैं. ED अपनी तरफ से दर्ज केस की कॉपी आरोपी को नहीं देती. वह पुलिस या सीबीआई की तरफ से दर्ज केस में अपनी तरफ से PMLA का केस दर्ज कर लेती है. आरोपी को समन भेज कर बयान दर्ज करती है. उस बयान को भी बतौर सबूत कोर्ट में पेश किया जाता है. यह CrPC के उस नियम के विरुद्ध है, जहां पुलिस को दिया बयान कोर्ट में मान्य नहीं होता है.


ज़मानत पाना बहुत कठिन रखा गया है- याचिकाकर्ताओं ने कहा


याचिकाकर्ताओं ने यह भी कहा था कि PMLA के तहत अधिकतम सज़ा तो 7 साल की ही होती है लेकिन गिरफ्तार व्यक्ति के लिए ज़मानत पाना बहुत कठिन रखा गया है. इसमें मजिस्ट्रेट को तथ्यों पर सीधे संज्ञान लेकर ज़मानत का अधिकार नहीं दिया गया है. मामले के शुरुआती चरण में ही ED छापे मारती है, संपत्ति जब्त कर लेती है. यह सभी प्रावधान गलत हैं.


सरकार ने कानून का बचाव करते हुए दलील दी थी कि लोगों ने कार्रवाई से बचने के लिए कानून को चुनौती दी है. इस कानून के चलते अब तक माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चोकसी जैसे लोगों से बैंकों के 18,000 करोड़ रुपए वसूले गए हैं. PMLA के प्रावधान दूसरे विकसित देशों में लागू व्यवस्था जैसे ही हैं. इनमें ढील देना भ्रष्टाचार को बहुत शह देगा.


MLA एक्ट की इन धाराओं को सुप्रीम कोर्ट ने ठहराया ठीक


सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में PMLA एक्ट की धाराओं 3 (मनी लॉन्ड्रिंग केस दर्ज करना), 5 (संपत्ति की जब्ती), 17, 18 (छापे मारना), 19 (गिरफ्तारी), 24 (आरोपी के लिए अपनी बेगुनाही का सबूत देने की बाध्यता), 45 (ज़मानत की कड़ी प्रक्रिया) और 50 (ED को मिली समन भेजने और बयान दर्ज करने की शक्ति) को सही ठहराया है. याचिकाकर्ताओं ने 2018 में PMLA कानून में फाइनांस बिल (वित्त विधेयक) के ज़रिए कुछ बदलाव किए जाने को भी चुनौती दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने यू मसला 7 जजों की बेंच के पास भेज दिया है. आधार एक्ट में इसी तरह से किए बदलाव का मसला 7 जजों की बेंच के पास लंबित है. इसे भी उसके साथ सुना जाएगा.


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