Kiren Rijiju: केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू के एक बयान के बाद पूरा विपक्ष उनपर हमलावर है. दरअसल बुधवार को केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि भारत के सुप्रीम कोर्ट जैसे संवैधानिक न्यायालय को जमानत याचिकाओं या निरर्थक जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई नहीं करनी चाहिए. किरेन रिजिजू ने सुप्रीम कोर्ट में लंबित पड़े हजारों मामलों का जिक्र करते हुए ये बयान दिया.
रिजिजू के इस बयान पर कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी, वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने प्रतिक्रिया दी है. कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कानून मंत्री के बयान पर ट्वीट करते हुए कहा कि उन्होंने शायद न्यायमूर्ति कृष्ण अय्यर के मौलिक ग्रंथ – जमानत, जेल नहीं, नियम पढ़ा नहीं है. कानून मंत्री कैसे कह सकते हैं कि सुप्रीम कोर्ट को जमानत याचिकाओं पर सुनवाई नहीं करनी चाहिए.
आज़ादी का मतलब भी पता है: कपिल सिब्बल
वरिष्ठ नेता और अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने ट्वीट करते हुए सवाल किया कि रिजिजू ने कथित तौर पर कहा कि सुप्रीम कोर्ट को जमानत याचिका नहीं लेनी चाहिए...क्या उन्हें आज़ादी का मतलब भी पता है?
सलमान खुर्शीद ने किया पलटवार
इसी कड़ी में वरिष्ठ कांग्रेसी नेता सलमान खुर्शीद ने ट्वीट किया कि राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (NJAC) को भूल जाइए, सरकार न्यायपालिका को मैनेज करना चाहती है, छुट्टियों में कटौती करना चाहती है, जमानत के लिए कोई प्राथमिकता नहीं है, आगे क्या?”
गौरतलब है कि केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा है कि यदि सुप्रीम कोर्ट जमानत याचिकाओं या निरर्थक जनहित याचिकाओं पर सुनवाई शुरू करता है, तो इससे बहुत अधिक अतिरिक्त बोझ पड़ेगा. उन्होंने कहा 4 करोड़ से अधिक मामले निचली अदालतों में लंबित हैं, जहां सरकार की हिस्सेदारी है. हम बेहतर बुनियादी ढांचा बनाने के लिए पैसा देते हैं, समर्थन करते हैं. लेकिन हमें न्यायपालिका से यह सुनिश्चित करने के लिए कहना होगा कि केवल योग्य लोगों को ही न्याय मिले.
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