नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल में संदिग्ध हालात में मृत मिले बीजेपी कार्यकर्ता के परिवार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है. 2 जून 2018 को पुरुलिया में मरने वाले दुलाल कुमार के परिवार का आरोप है कि उसकी हत्या हुई थी और इसे सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस के लोगों ने अंजाम दिया था. कोर्ट ने राज्य सरकार से चार हफ्ते में जवाब देने को कहा है.


क्या है मामला


29 मई 2018 को पुरुलिया में 18 साल के बीजेपी कार्यकर्ता की लाश पेड़ से लटकती मिली थी. पार्टी इसका विरोध कर ही रही थी कि तीन दिन बाद पास ही के गांव में एक और बीजेपी कार्यकर्ता दुलाल कुमार की लाश बिजली के टावर से लटकी मिली. उसके परिवार ने छह तृणमूल कार्यकर्ताओं पर उसे अगवा करने और हत्या का आरोप लगाया, लेकिन पुलिस ने दुलाल की मौत को आत्महत्या करार दिया.


इसके दो महीने बाद, अगस्त 2018 में बीजेपी नेता और वकील गौरव भाटिया ने पश्चिम बंगाल में तीन बीजेपी कार्यकर्ताओं की हत्या की सीबीआई जांच की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की. उन्होंने याचिका में त्रिलोचन और दुलाल के साथ एक और कार्यकर्ता शक्तिपद सरकार की हत्या का आरोप सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस पर लगाया. उनका कहना था कि हत्याएं तृणमूल के लोगों ने की हैं. इसलिए राज्य पुलिस ईमानदारी से जांच नहीं कर रही है.


दो मामले सुप्रीम कोर्ट ने बंद किए


मार्च 2019 में पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट को जानकारी दी कि त्रिलोचन और शक्तिपद की हत्या में उसने निचली अदालत में चार्जशीट दाखिल कर दी है. इसके बाद कोर्ट ने इन मामलों की दोबारा जांच से मना कर दिया, लेकिन दुलाल कुमार के मामले में कोर्ट ने राज्य सरकार से मेडिकल रिपोर्ट मांग ली.


राज्य सरकार का दावा


आज राज्य सरकार की तरफ से कपिल सिब्बल ने कहा, "पांच डॉक्टरों की टीम ने मौत को आत्महत्या कहा था." इसका विरोध करते हुए गौरव भाटिया ने कहा, "वहां हर कोई दबाव में काम कर रहा है. जिस व्यक्ति को किसी तरह की परेशानी नहीं थी. वह आत्महत्या क्यों करेगा? उसकी जेब से कोई सुसाइड नोट भी नहीं मिला था."


इस पर सिब्बल ने दुलाल के किसी महिला से संबंध होने और रिश्तों में तनाव के चलते आत्महत्या का दावा किया. गौरव भाटिया ने जवाब दिया, "पुलिस ने पूरे मोहल्ले के बयान दर्ज किए. सिर्फ परिवार से ही बात नहीं की. यह किस तरह की जांच थी."


'हर पक्ष करता है इस्तेमाल'


इस मामले में पहले अपने नाम से याचिका दायर करने वाले बीजेपी नेता और वकील गौरव भाटिया आज दुलाल के परिवार की तरफ से पेश हुए थे. पश्चिम बंगाल के वकील कपिल सिब्बल ने इस ओर इशारा करते हुए उन पर कोर्ट के राजनीतिक इस्तेमाल का आरोप लगा दिया.


इस पर तीन जजों की बेंच की अध्यक्षता कर रहे चीफ जस्टिस एस ए बोबड़े ने कहा, "हम जानते हैं कि कोर्ट का राजनीतिक इस्तेमाल होता है. दोनों तरफ के लोग ऐसा करते हैं." दरअसल, गौरव भाटिया पर कोर्ट का राजनीतिक इस्तेमाल का आरोप लगाने वाले कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल खुद पिछले कुछ समय में नोटबंदी, अनुच्छेद 370, नागरिकता संशोधन कानून, महाराष्ट्र सरकार जैसे मामलों में अपनी पार्टी लाइन के मुताबिक कोर्ट में जिरह कर चुके हैं.


'टीवी स्टूडियो में कीजिए बहस'


चीफ जस्टिस की टिप्पणी के बाद भी सिब्बल और भाटिया में नोंकझोंक होती रही. इस पर बेंच के सदस्य जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, "आप लोग किसी टीवी स्टूडियो में बहस कर के मसला सुलझा लीजिए." सिब्बल ने मामले में नए सिरे से नोटिस का विरोध किया, लेकिन चीफ जस्टिस ने कहा, "अगर मृतक के पिता ने अर्ज़ी दाखिल की है तो हमें उसे देखना चाहिए. आप इस पर जवाब दाखिल कीजिए कि उनकी बात क्यों न सुनी जाए? जांच सीबीआई से करानी है या नहीं, इस पर आगे सुनवाई होगी."


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