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RRTS Project: 'विज्ञापन बजट 1100 करोड़, जरूरी काम के लिए पैसे नहीं...', रैपिड रेल के लिए दिल्ली सरकार के फंड नहीं देने पर सुप्रीम कोर्ट नाराज

Supreme Court on RRTS Project: रैपिड रेल प्रोजेक्ट के जरिए दिल्ली को उत्तर प्रदेश के मेरठ से जोड़ा जा रहा है. इस रूट में गाजियाबाद जैसा एनसीआर का बड़ा शहर भी शामिल है.

RRTS Project News: रैपिड रेल प्रोजेक्ट के लिए दिल्ली सरकार की तरफ से अपने हिस्से का फंड नहीं देने पर सुप्रीम कोर्ट नाराज है. अदालत ने कहा है कि आपका 3 साल का विज्ञापन बजट 1100 करोड़ है, पर जरूरी काम के लिए पैसे नहीं हैं. दरअसल, रैपिड रेल को 'दिल्ली-मेरठ रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम' या कहें आरआरटीएस के तौर पर जाना जाता है. इसके जरिए दिल्ली को यूपी के मेरठ से जोड़ा गया है. प्रोजेक्ट के लिए दोनों राज्यों की सरकार को भुगतान करना है.

अदालत ने राज्य सरकार पर नाराजगी जताते हुए कहा कि आपकी तरफ से भुगतान का आश्वासन दिया गया. हमने आगाह किया था कि अगर भुगतान नहीं हुआ तो आपका विज्ञापन बजट जब्त किया जाएगा. हम अब इसे जब्त करने का आदेश दे रहे हैं. सिर्फ 1 हफ्ते तक यह आदेश स्थगित रहेगा. तब तक आपने कदम नहीं उठाए तो आदेश लागू हो जाएगा. ऐसे में अदालत ने साफ कर दिया है कि अगर फंडिंग नहीं हुई, तो दिल्ली सरकार को विज्ञापन बजट से हाथ धोना पड़ सकता है.

क्यों जारी हुआ सख्त आदेश?

जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली बेंच ने इससे पहले भी इस मसले पर दिल्ली सरकार को फटकार लगाई थी. जुलाई में हुई सुनवाई में कोर्ट ने दिल्ली सरकार से पूछा था कि वह अपने प्रचार के लिए कितना खर्च करती है. कोर्ट ने विज्ञापन बजट को जब्त करने की चेतावनी दी थी. इस पर दिल्ली सरकार ने 2 हफ्ते में बकाया धनराशि के भुगतान का भरोसा दिया था. आज जब जजों को जानकारी मिली कि दिल्ली सरकार ने भुगतान नहीं किया है, तो उन्होंने सख्त आदेश पारित कर दिया.

कोर्ट ने क्या कहा?

जजों ने दिल्ली सरकार से सख्त लहजे में कहा कि आपका 3 साल का विज्ञापन बजट 1100 करोड़ रुपए है. लेकिन जरूरी काम के लिए आपके पास पैसे नहीं हैं. हमने आगाह किया था कि अगर भुगतान नहीं हुआ तो भरपाई आपके विज्ञापन बजट से की जाएगी. अब हम इसे RRTS को ट्रांसफर करने का आदेश दे रहे हैं. सिर्फ 1 हफ्ते तक यह आदेश स्थगित रहेगा. तब तक आपने कदम नहीं उठाए तो आदेश लागू हो जाएगा.

रैपिड रेल के तहत कितने प्रोजेक्ट? 

दरअसल, केंद्र सरकार दिल्ली को इसके आस पास के राज्यों के बड़े शहरों से जोड़ना चाहती है. अभी इन शहरों तक जाने के लिए रेल और सड़क मार्ग की व्यवस्था है. मगर सरकार चाहती है कि रैपिड रेल की व्यवस्था की जाए, ताकि दिल्ली से कनेक्टिविटी बढ़ने पर इन शहरों का फायदा हो सके. कुल मिलाकर 3 आरआरटीएस प्रोजेक्ट हैं. इसमें से पहला प्रोजेक्ट दिल्ली मेरठ, दूसरा दिल्ली-अलवर और तीसरा दिल्ली-पानीपत के बीच है. इन प्रोजेक्ट्स के जरिए दिल्ली को यूपी, राजस्थान और हरियाणा से जोड़ा जाएगा. 

दिल्ली को आस-पास के शहरों से जोड़ने के लिए रैपिड रेल परियोजना शुरू की गई है. आधिकारिक रूप से इसे RRTS यानी रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम कहा जाता है. इसका एक मुख्य उद्देश्य सड़कों से भीड़भाड़ कम कर प्रदूषण का स्तर गिराना है. इस परियोजना लिए केंद्र सरकार के अलावा उन राज्यों को भी योगदान देना है जहां से यह ट्रेन गुजरेगी.

दिल्ली सरकार पर कितना बकाया है? 

केंद्र, यूपी, हरियाणा और राजस्थान सरकार ने तो प्रोजेक्ट के लिए अपना योगदान दिया है, लेकिन दिल्ली सरकार लगातार फंड की कमी का बहाना बना कर भुगतान टाल रही है. दिल्ली-मेरठ, दिल्ली-अलवर और दिल्ली-पानीपत आरआरटीएस के लिए दिल्ली सरकार पर इस साल के 565 करोड़ रुपए बकाया हैं. यहां हैरानी वाली बात ये है कि दिल्ली सरकार का इस साल का विज्ञापन बजट 550 करोड़ रुपए हैं. यही वजह है कि सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए विज्ञापन बजट जब्त करने की बात कही है. आरआरटीएस फंड को लेकर पहले हुई सुनवाई में भी दिल्ली सरकार के विज्ञापन बजट को लेकर अदालत टिप्पणी कर चुकी है. इस मामले पर अब अगली सुनवाई 28 नवंबर को होनी है. 

यह भी पढ़ें:  50 रुपये किराया, 140 किमी की रफ्तार और प्रीमियम कोच की सुविधा; जानिए कितनी खास है रैपिडएक्स ट्रेन

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