आवारा कुत्तों की समस्या पर सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट- केंद्र, यूपी और दिल्ली सरकार को नोटिस
पिछले साल जुलाई में दिल्ली हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने कहा था कि कुत्ते एक सामुदायिक जीव हैं. उन्हें उसी तरह से देखा जाना चाहिए. जो लोग उन्हें खाना खिलाना चाहते हैं, उन्हें नहीं रोका जा सकता.
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आवारा कुत्तों की समस्या पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र, यूपी और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया है. इसके साथ ही कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के पिछले साल आए एक आदेश के अमल पर रोक लगा दी है. इस आदेश में हाईकोर्ट ने कहा था कि कुत्तों को उनके रहने की जगह से नहीं हटाया जा सकता. सुप्रीम कोर्ट ने यह स्थगन आदेश ह्यूमन फाउंडेशन फ़ॉर पीपल एंड एनिमल्स नाम की संस्था की याचिका पर दिया है. इसके अलावा कोर्ट ने नोएडा की रहने वाली 8 महिलाओं की याचिका पर भी नोटिस जारी किया है.
हाईकोर्ट ने जारी किया था आदेश
पिछले साल जुलाई में दिल्ली हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने कहा था कि कुत्ते एक सामुदायिक जीव हैं. उन्हें उसी तरह से देखा जाना चाहिए. जो लोग उन्हें खाना खिलाना चाहते हैं, उन्हें नहीं रोका जा सकता. एनिमल वेलफेयर बोर्ड और हर इलाके के आरडब्ल्यूए को ऐसी जगह निर्धारित करनी चाहिए, जहां लोग कुत्तों को खाना दे सकें. कोर्ट ने इस आदेश में यह भी कहा था कि कुत्तों को उनके इलाके से नहीं हटाना चाहिए. ह्यूमन फाउंडेशन फ़ॉर पीपल एंड एनिमल्स ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि एक के बाद एक कई हाईकोर्ट कुत्तों से जुड़े मामले पर आदेश दे रहे हैं. जबकि, 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने इससे जुड़े एक मामले को सुनते हुए कहा था कि फिलहाल हाईकोर्ट इस पर कोई आदेश न दें. दिल्ली हाई कोर्ट ने जो आदेश दिया है, वह नागरिकों के हितों का ध्यान नहीं रखता है. इस आदेश के चलते खतरनाक कुत्तों को भी हटा पाना मुश्किल हो गया है.
एनजीओ के वकील की दलीलें थोड़ी देर सुनने के बाद जस्टिस विनीत सरन और अनिरुद्ध बोस की बेंच ने मामले में दिल्ली सरकार, एनिमल वेलफेयर बोर्ड और दिल्ली हाई कोर्ट में याचिकाकर्ता रहे लोगों को नोटिस जारी कर दिया. इसके साथ ही कोर्ट ने नोएडा के सेक्टर 137 की रहने वाली 8 महिलाओं की याचिका पर भी केंद्र और यूपी सरकार को नोटिस जारी किया.
नोएडा की महिलाओं ने याचिका में की शिकायत
सेक्टर 137 की अलग-अलग सोसाइटी में रहने वाली इन महिलाओं ने बताया है कि पिछले कुछ समय में उनके इलाके में कुत्तों के काटने की 50 से भी ज़्यादा घटनाएं हुईं. लेकिन शिकायतों पर प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की. कुत्तों की आबादी बेहिसाब बढ़ती जा रही है. न तो उनकी आबादी बढ़ने से रोकने के उपाय किए जा रहे हैं, न ही उन्हें हटाने के लिए कुछ किया जा रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने दोनों मामलों को 6 हफ्ते बाद सुनवाई के लिए लगाने का निर्देश दिया. कोर्ट में लावारिस कुत्तों को लेकर केरल, यूपी समेत कुछ और राज्यों के मामले पहले से लंबित हैं.
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