Supreme Court: अपने कामकाज से जुड़ी अफवाहों पर लगाम के लिए फैक्ट चेकिंग यूनिट बनाने के केंद्र सरकार के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है. अदालत ने कहा है कि मामला बॉम्बे हाई कोर्ट में लंबित है. इस पर 15 अप्रैल को सुनवाई है. उससे पहले फैक्ट चेकिंग यूनिट बनाना सही कदम नहीं. नए आईटी कानून में व्यवस्था है कि इंटरनेट मीडिया पर सर्कुलेट किसी जानकारी को अगर फैक्ट चेकिंग यूनिट अपनी जांच में गलत पाता है, तो इसे हटाने का निर्देश दिया जाएगा.


चीफ जस्टिस ने बंबई हाई कोर्ट के फैसले को किया रद्द


याचिकाकर्ता ने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर गलत तरीके से रोक बताया था. वहीं, सरकार ने दलील दी थी कि इस प्रावधान का इस्तेमाल सरकार की आलोचना करने वाले सोशल मीडिया पोस्ट को हटाने के लिए नहीं किया जाएगा, लेकिन अगर मुफ्त में अनाज बांटने, टैक्स में छूट, तूफान आने की चेतावनी जैसी झूठी खबरों से लोगों को गुमराह किया जाएगा, तो उसे हटवाना जरूरी है.


चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने बंबई हाई कोर्ट के 11 मार्च के आदेश को रद्द कर दिया, जिसने केंद्र सरकार के बारे में सोशल मीडिया पर फर्जी और गलत सामग्री की पहचान करने के लिए संशोधित आईटी नियमों के तहत एफसीयू की स्थापना पर अंतरिम रोक लगाने से इनकार कर दिया था. पीठ ने कहा, ‘‘हमारी राय है कि हाई कोर्ट के समक्ष जो प्रश्न हैं, वे संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (ए) के मूल प्रश्नों से संबंधित हैं.’’


चीफ जस्टिस की पीठ ने क्या कहा?


पीठ में जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा भी शामिल रहे. पीठ ने कहा, ‘‘हमारी राय है कि अंतरिम राहत का अनुरोध खारिज होने के बाद 20 मार्च, 2024 को जारी अधिसूचना पर रोक लगाने की जरूरत है. अनुच्छेद 3 (1) (बी) (5) की वैधता को चुनौती में गंभीर संवैधानिक प्रश्न शामिल हैं और हाई कोर्ट की ओर से स्वतंत्र वाक और अभिव्यक्ति पर नियमों के प्रभाव का विश्लेषण करना जरूरी था."


सरकार की अधिसूचना के अनुसार एफसीयू केंद्र सरकार से संबंधित सभी फर्जी खबरों या गलत सूचनाओं से निपटने या सचेत करने के लिए नोडल एजेंसी होगी.


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