Supreme Court on NCPCR: सुप्रीम कोर्ट की ओर से राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) की सिफारिशों पर रोक लगाए जाने को लेकर सियासी बवाल जारी है. इस बीच, ऑल इंडिया शिया पर्सनल बोर्ड के जनरल सेक्रेटरी मौलाना यासूब अब्बास का बयान आया है. उन्होंने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि अरबी मदारिस को खत्म करने के लिए ये सिफारिश थी, जिस पर देश की सर्वोच्च न्यायालय ने बहुत अच्छा फैसला लिया है.


मौलाना यासूब अब्बास ने आगे बताया, "देश की सर्वोच्च न्यायालय ने बहुत बड़ा फैसला लिया है. अरबी मदारिस को खत्म करने के लिए यह एक प्लान के तहत सिफारिश थी, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी. अरबी मदारिस को लेकर हमेशा देश में कुछ न कुछ उठते रहता है.


"अरबी मदारिस का मुल्क की तरक्की में अहम योगदान"


मौलाना यासूब अब्बास ने आगे कहा, "कुछ लोग ऐसे हैं जो अरबी मदारिस को शक की निगाह से देखते हैं. अरबी मदारिस ने देश की आजादी और मुल्क की तरक्की में अहम योगदान दिया है. मैं ऑल इंडिया शिया पर्सनल बोर्ड लॉ बोर्ड के तरफ से देश की सर्वोच्च न्यायालय के इस निर्णय को तहे दिल से स्वागत करता हूं".


क्या है पूरा मामला?


दरअसल, एनसीपीसीआर ने हाल ही में सिफारिश में कहा था कि जब तक मदरसे भारत सरकार की ओर से लाए गए (2001) सर्व शिक्षा अभियान कार्यक्रम का पालन नहीं करते, तब तक फंड बंद कर देना चाहिए. एनसीपीसीआर ने रिपोर्ट में यह भी कहा था कि मदरसों के अंदर धार्मिक शिक्षा पर ज्यादा जोर दिया जाता है, जिसके कारण छात्रों को बुनियादी शिक्षा नहीं मिल पाती है और वो पिछड़ जाते हैं. वहीं, इसको लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एनसीपीसीआर की सिफारिशों पर रोक लगा दी है.


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