Pegasus Case: पश्चिम बंगाल सरकार की तरफ से पेगासस मामले (Pegasus case) की जांच के लिए बनाए आयोग के काम पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने रोक लगा दी है. कोर्ट ने आयोग के अभी तक काम करने पर नोटिस भी जारी किया है. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट पेगासस जासूसी मामले की जांच के लिए अपनी तरफ से कमिटी बना चुका है. मामले पर पहले हुई सुनवाई में राज्य सरकार के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने भरोसा दिया था कि उनका आयोग अभी काम नहीं करेगा. अब याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया है कि आयोग ने दोबारा अपनी कार्यवाही शुरू कर दी है.


पश्चिम बंगाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस मदन बी लोकुर की अध्यक्षता में एक जांच आयोग बनाया था. आयोग की वैधता पर मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है. ग्लोबल विलेज फाउंडेशन (Global Village Foundation) नाम की संस्था ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि पेगासस एक राष्ट्रव्यापी प्रभाव वाला मामला है, जिसके तार विदेशों से भी जुड़े हो सकते हैं. ऐसे मामले में एक राज्य सरकार जांच आयोग नहीं बना सकती. 


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27 अक्टूबर को आयोग का किया गया था गठन


याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के नोटिस का जवाब देते हुए 25 अगस्त को सिंघवी ने आश्वासन दिया था कि आयोग फिलहाल काम नहीं करेगा. बाद में 27 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व जज जस्टिस आर वी रवींद्रन की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ कमिटी का गठन कर उसे जांच का ज़िम्मा सौंप दिया था.


गुरुवार को याचिकाकर्ता ग्लोबल विलेज फाउंडेशन के वकील ने कोर्ट को यह जानकारी दी कि पश्चिम बंगाल का आयोग अभी भी काम कर रहा है. इसके बाद आज चीफ जस्टिस एन वी रमना, जस्टिस सूर्यकांत और हिमा कोहली की बेंच ने मामले को सुना.


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सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई लंबित रहने तक जांच पर रोक


जजों के सवाल करने पर पश्चिम बंगाल सरकार के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि उन्होंने आयोग को बता दिया था कि सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई लंबित रहने तक उसे काम नहीं करना है. अब शायद कोर्ट का फैसला आ जाने के चलते आयोग ने काम शुरू कर दिया है. जजों ने इस बात पर हैरानी जताते हुए पश्चिम बंगाल सरकार और जांच आयोग को नोटिस जारी कर दिया. कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया है कि आयोग फिलहाल कोई कार्यवाही न करे.