'अगर सरकार उठाना चाहती है जोखिम तो उनकी मर्जी', सुप्रीम कोर्ट ने योगी सरकार से क्यों कही ये बात?
Bahraich Violence: बहराइच हिंसा के आरोपियों की ओर से पेश हुए वकील सीयू सिंह ने कहा, ‘‘हमने 20 अक्टूबर को सुनवाई का अनुरोध किया था, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया.’’
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Bahraich Violence: सुप्रीम कोर्ट यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार की ओर से जारी ध्वस्तीकरण नोटिस के खिलाफ बहराइच सांप्रदायिक हिंसा मामले के तीन आरोपियों की याचिका पर बुधवार (23 अक्टूबर) को सुनवाई करेगा. याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सीयू सिंह ने जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ के समक्ष मामले का उल्लेख करते हुए तत्काल सुनवाई किए जाने का अनुरोध किया.
सिंह ने पीठ से कहा, ‘‘यह उन तीन व्यक्तियों की याचिका है जिन्हें ध्वस्तीकरण संबंधी नोटिस प्राप्त हुए हैं. राज्य सरकार ने नोटिस का जवाब देने के लिए केवल तीन दिन का समय दिया है.’’ सिंह ने कहा कि याचिकाकर्ता संख्या-एक के पिता और भाइयों ने आत्मसमर्पण कर दिया है और नोटिस कथित तौर पर 17 अक्टूबर को जारी किए गए और 18 की शाम को चिपकाए गए.
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने दिया था जवाब देने के लिए 15 दिन का समय
बहराइच हिंसा के आरोपियों की ओर से पेश हुए वकील ने कहा, ‘‘हमने 20 अक्टूबर को सुनवाई का अनुरोध किया था, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया.’’ उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के एम नटराज ने अदालत से कहा कि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मामले पर विचार किया है और नोटिस का जवाब देने के लिए 15 दिन का समय दिया है.
सुप्रीम कोर्ट ने कार्रवाई पर लगाई रोक
इसके बाद पीठ ने कहा, ‘‘यदि वे (उत्तर प्रदेश सरकार) हमारे आदेश का उल्लंघन करने का जोखिम उठाना चाहते हैं, तो यह उनकी मर्जी है.’’ याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा कि हाई कोर्ट ने कोई संरक्षण नहीं दिया है. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने एएसजी से बुधवार तक कोई कार्रवाई नहीं करने को मौखिक रूप से कहा और मामले को उसी दिन के लिए सूचीबद्ध किया.
महाराजगंज में एक पूजा स्थल के बाहर तेज आवाज में संगीत बजाने को लेकर हुए अंतर-धार्मिक विवाद में गोली लगने से राम गोपाल मिश्रा (22) की महानवमी के दिन मौत हो गई थी. इस घटना से सांप्रदायिक हिंसा भड़क गई, जिसके कारण क्षेत्र में आगजनी एवं तोड़फोड़ की घटनाएं हुईं तथा इंटरनेट सेवा चार दिन तक निलंबित रही.
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