Supreme Court on Jim Corbett: कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में अवैध निर्माण, पेड़ों की कटाई पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, पूर्व मंत्री को लगाई कड़ी फटकार
Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पूर्व मंत्री ने कानून की घोर अवहेलना की है और कमर्शियल मकसद के लिए टूरिज्म को बढ़ावा देने के बहाने बड़े पैमाने पर वनों की कटाई की अनुमति दी है.
![Supreme Court on Jim Corbett: कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में अवैध निर्माण, पेड़ों की कटाई पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, पूर्व मंत्री को लगाई कड़ी फटकार Supreme Court strongly criticised Uttarakhand Former Minister Harak Singh Rawat for tree felling in Jim Corbett tiger reserve Supreme Court on Jim Corbett: कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में अवैध निर्माण, पेड़ों की कटाई पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, पूर्व मंत्री को लगाई कड़ी फटकार](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/03/06/f56857670a3b679b7e144d1eae19d5761709748800296708_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
Corbett Tiger Illegal Tree Cutting Case: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (6 मार्च, 2024) को जिम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में अवैध निर्माण और पेड़ों की कटाई की अनुमति देने के मामले में सुनवाई की. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड के पूर्व वन मंत्री हरक सिंह रावत और पूर्व डिविजनल फॉरेस्ट अधिकारी किशन चंद को कड़ी फटकार लगाई. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सीबीआई को 3 माह के भीतर स्टेट्स रिपोर्ट दाखिल करने के निर्देश भी दिए. सीबीआई पहले से ही इस मामले की जांच कर रही है.
जस्टिस बीआर गवई की ने क्या कहा?
दरअसल, इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में पर्यावरण कार्यकर्ता और अधिवक्ता गौरव बंसल की ओर से एक याचिका दायर की गई थी. इस याचिका में नेशनल पार्क में बाघ सफारी और पिंजरा बंद जानवरों के लिए एक स्पेशल चिड़ियाघर बनाने के उत्तराखंड सरकार के प्रस्ताव को चुनौती दी गई थी. इस याचिका के बाद ही सुप्रीम कोर्ट की यह कड़ी टिप्पणी आई है.
जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, "यह एक ऐसा मामला है जहां ब्यूरोक्रेट्स और राजनेताओं ने लोगों के भरोसे के सिद्धांत को कूड़दान में फेंक दिया है." पीठ ने सख्त लहजे में यह भी कहा, "उन्होंने (हरक सिंह रावत और किशन चंद) ने कानून की घोर अवहेलना की है और कमर्शियल मकसद के लिए टूरिज्म को बढ़ावा देने के बहाने बिल्डिंग्स निर्माण के लिए बड़े पैमाने पर वनों की कटाई की है."
कोर्ट ने कहा कि जिस तरह से वैधानिक प्रावधानों को ताक पर रख कर रावत और चंद ने दुस्साहस दिखाया, उससे आश्चर्यचकित हैं.
'जनविश्वास के सिद्धांत को हवा में उड़ाया'
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान यह भी कहा कि वर्तमान मामले में यह संदेह से परे स्पष्ट है कि पूर्व वन मंत्री ने खुद को कानून से परे माना था. वहीं, यह दर्शाता है कि कैसे पूर्व डिविजनल फॉरेस्ट अधिकारी किशन चंद ने जनविश्वास के सिद्धांत को हवा में उड़ा दिया था. कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी करते हुए यह भी कहा कि राजनेता और ब्यूरोक्रेट्स ने किस तरह से कानून को अपने हाथ में लिया था.
कोर्ट ने यह भी कहा, "हमें यकीन है कि कई अन्य लोग भी इसमें शामिल हैं, लेकिन सीबीआई इस मामले की जांच कर रही है. इसलिए हम और कुछ नहीं कह रहे हैं."
ट्रेंडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस
![ABP Premium](https://cdn.abplive.com/imagebank/metaverse-mid.png)