GN Saibaba Case: जीएन साईबाबा की रिहाई पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक, हाईकोर्ट के आदेश पर लगाया स्टे
जीएन साईबाबा को सुप्रीम कोर्ट से किसी तरह की राहत नहीं मिली. कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है. जीएन साईबाबा को अभी जेल में ही रहना होगा. पढ़ें कोर्ट ने आदेश देते हुए क्या कहा.
![GN Saibaba Case: जीएन साईबाबा की रिहाई पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक, हाईकोर्ट के आदेश पर लगाया स्टे Supreme Court suspends the order of the Bombay High Court which discharged GN Saibaba in an alleged Maoist links case GN Saibaba Case: जीएन साईबाबा की रिहाई पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक, हाईकोर्ट के आदेश पर लगाया स्टे](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2022/10/15/3cb7f5daaa55b0b2d51c92221fa710f11665818093750457_original.png?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
Supreme Court On GN Saibaba: जीएन साईबाबा को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से बड़ा झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार (15 अक्टूबर) को एक विशेष सुनवाई में बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) की नागपुर पीठ के 14 अक्टूबर के आदेश पर रोक लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक जीएन साईबाबा को अभी जेल में ही रहना होगा. इस मामले में अब अगली सुनवाई 8 दिसंबर के बाद होगा. इससे पहले, बॉम्बे हाई कोर्ट ने कथित माओवादी लिंक मामले में दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईबाबा और अन्य को आरोप मुक्त कर दिया था और रिहाई के आदेश दिए थे.
बेंच ने आदेश देते हुए क्या कहा?
बता दें कि जस्टिस एमआर शाह और बेला एम त्रिवेदी की बेंच ने महाराष्ट्र राज्य की अपील पर नोटिस जारी करते हुए आदेश पारित किया है. अदालत आदेश पारित करते हुए कहा, "हमारा दृढ़ मत है कि हाई कोर्ट के आक्षेपित फैसले को निलंबित करने की आवश्यकता है ... यह विवाद में नहीं है कि धारा 390 सीआरपीसी और 1976 (3) एससीसी 1 के मामले में इस अदालत के फैसले पर भी विचार किया जा रहा है. हालांकि, यह अदालत हाई कोर्ट के आदेश को निलंबित कर सकती है."
बेंच ने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रहे साईबाबा को निचली अदालत ने उम्रकैद की सझा दी थी, लेकिन हाई कोर्ट ने तथ्यों को देखे बिना सिर्फ तकनीकी आधार पर बरी कर दिया. हाई कोर्ट ने कहा था कि UAPA का मुकदमा चलाने के लिए मंजूरी सही प्रक्रिया का पालन किए बिना ली गई.
बेंच ने आगे कहा, "गंभीर मामले में सजा पा चुके व्यक्ति को सिर्फ तकनीकी आधार पर रिहा करना सही नहीं. मामले को विस्तार से सुना जाएगा. साईबाबा चाहें तो झमानत याचिका दाखिल कर सकते हैं, लेकिन फिलहाल न जेल से रिहाई होगी, न घर और नजरबंद रखने की मांग मानी जाएगी."
'इसमें शामिल अपराध बहुत गंभीर प्रकृति के हैं'
पीठ ने यह भी कहा कि इसमें शामिल अपराध बहुत गंभीर प्रकृति के हैं और आरोपियों को सबूतों की विस्तृत समीक्षा के बाद दोषी ठहराया गया था. इस प्रकार अगर राज्य योग्यता के आधार पर सफल होता है, तो समाज के हित, भारत की संप्रभुता और अखंडता के खिलाफ अपराध बहुत गंभीर हैं.
निचली अदालत ने सुनाई थी सजा
गौरतलब है कि महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले की एक सत्र अदालत ने मार्च 2017 में साईबाबा, एक पत्रकार और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) के छात्र समेत अन्य को कथित माओवादी लिंक और देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने की गतिविधियों में सम्मिलित होने के लिए दोषी माना था. साईबाबा और अन्य को कड़े गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के विभिन्न प्रावधानों के तहत अदालत ने उन्हें दोषी करार दिया था.
SC ने HC के फैसले पर रोक लगाई
इस सजा को पलटते हुए शुक्रवार को जस्टिस राहुल देव और अनिल पानसरे की बेंच ने प्रोफेसर को रिहा करने का आदेश जारी कर दिया. वहीं अब सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है. अब जीएन साईबाबा को जेल में ही रहना होगा. मामले में अगली सुनवाई 8 दिसंबर के बाद होगी.
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