Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर की एक जेल में बंद एक विचाराधीन कैदी को महज अल्पसंख्यक ‘कुकी’ समुदाय से संबंधित होने के चलते इलाज के लिए अस्पताल नहीं ले जाने के मामले का बुधवार (3, जुलाई) को कड़ा संज्ञान लिया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमें राज्य (सरकार) पर भरोसा नहीं है.


न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने लुनखोंगाम हाओकिप की याचिका पर सुनवाई करते हुए मणिपुर सरकार के खिलाफ सख्त टिप्पणियां कीं. याचिकाकर्ता का कहना है कि उसे बवासीर और तपेदिक है, साथ ही उसकी पीठ में भयंकर दर्द है, इसके बाद भी जेल अधिकारी उसे अस्पताल नहीं ले गए.


सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?


पीठ ने कहा, ‘‘हमें राज्य पर भरोसा नहीं है. आरोपी को बस इसलिए अस्पताल नहीं ले जाया गया क्योंकि वह कुकी समुदाय से है, बहुत दुखद. हम निर्देश देते हैं कि उसका अभी मेडिकल परीक्षण कराया जाए. यदि मेडिकल रिपोर्ट में कुछ गंभीर सामने आता है तो हम आपकी खबर लेंगे.’’


हाओकिप के वकील ने दावा किया कि जेल अधिकारियों ने चिकित्सकीय मदद के लिए लगातार किये गये अनुरोधों पर कोई ध्यान नहीं दिया. पीठ ने मणिपुर हाई कोर्ट के आदेश पर गौर किया और पाया कि विचाराधीन कैदी को इसलिए अस्पताल नहीं ले जाया गया, क्योंकि वह कुकी समुदाय से था और उसे अस्पताल ले जाना कानून एवं व्यवस्था की स्थिति को ध्यान में रखते हुए खतरनाक होगा.’’


गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज ले जाने का दिया निर्देश


मणिपुर अल्पसंख्यक कुकी और बहुसंख्यक मैतेई समुदायों के बीच जातीय संघर्ष की चपेट में है. पीठ ने जेल अधीक्षक और राज्य के अधिकारियों को निर्देश दिया कि उसे गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज ले जाने और वहां उसकी जांच कराने के लिए जरूरी इंतजाम किया जाए. बवासीर, तपेदिक, टौंसिल, पेट दर्द के साथ-साथ कमर के निचले हिस्से में परेशानियों के संबंध में चिकित्सा जांच की जाए.’’


सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल रिपोर्ट भी मांगी


सुप्रीम कोर्ट ने 15 जुलाई या उससे पहले विस्तृत मेडिकल रिपोर्ट मांगी है और राज्य सरकार को इलाज व्यय समेत समूचा खर्च उठाने का निर्देश दिया है. हाई कोर्ट के उस आदेश के बाद मणिपुर पिछले साल मई में अराजकता एवं हिंसा की चपेट में आ गया, जिसमें राज्य सरकार को गैर आदिवासी मैतेई समुदाय को अधिसूचित जनजातियों की सूची में शामिल करने पर विचार करने का निर्देश दिया गया था.


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