नई दिल्ली: यमुना नदी में प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लिया है. दिल्ली जल बोर्ड ने एक याचिका दायर कर यह शिकायत की थी कि हरियाणा में उद्योगों से निकला जहरीला पानी नदी में छोड़ा जा रहा है. इससे पानी में अमोनिया का स्तर बहुत बढ़ गया है. कोर्ट ने इस मुद्दे पर सुनवाई की सहमति दी. साथ ही कहा कि वह यमुना में प्रदूषण की सभी वजहों पर विचार करेगा.


दिल्ली जल बोर्ड की तरफ से दाखिल याचिका में यह कहा गया है कि 25 दिसंबर को यमुना में अमोनिया का स्तर 12 पीपीएम हो गया था. इसके चलते दिल्ली के घरों में आपूर्ति से पहले पानी की सफाई करने वाले प्लांट भी सही ढंग से काम नहीं कर पा रहे हैं. इस तरह के पानी के इस्तेमाल से लोगों को कैंसर हो सकता है.


चीफ जस्टिस एस ए बोबड़े, जस्टिस ए एस बोपन्ना और वी रामसुब्रमण्यम की बेंच ने मामले को बहुत गंभीरता से लिया. कोर्ट ने कहा कि वह पूरी यमुना नदी में प्रदूषण के मसले पर स्वतः संज्ञान ले रहा है. जल बोर्ड की तरफ से पैरवी करने आई वरिष्ठ वकील मीनाक्षी अरोड़ा को ही कोर्ट ने एमिकस क्यूरी यानी न्याय मित्र नियुक्त कर दिया है. कोर्ट ने मीनाक्षी अरोड़ा से पूरे मसले का अध्ययन कर रिपोर्ट देने के लिए कहा है.


कोर्ट ने जल बोर्ड की याचिका पर हरियाणा सरकार को नोटिस जाती किया. साथ ही साफ किया कि वह हरियाणा के सोनीपत में औद्योगिक पानी बिना साफ किए यमुना में छोड़े जाने के अलावा नदी में प्रदूषण के बाकी कारणों पर भी विचार करेगा. गौरतलब है कि खुद दिल्ली में कई नालों का गंदा पानी यमुना में छोड़े जाने की शिकायतें सामने आती रही हैं.


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