सु्प्रीम कोर्ट में पहली बार होंगे अनुसूचित जाति के तीन जज, केंद्र ने जस्टिस पीबी वराले के नाम की सिफारिश की मंजूर
Supreme Court: जस्टिस पीबी वराले के पदोन्नत होने के साथ ही सुप्रीम कोर्ट में पहली बार एक साथ अनुसूचित जाति के तीन जज कार्यरत होंगे. जस्टिस गवई और सीटी रविकुमार भी अनुसूचित जाति से आते हैं.
Supreme Court: केंद्र सरकार ने बुधवार (24 जनवरी) को कॉलेजियम की सिफारिश को मंजूरी देते हुए कर्नाटक हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश पीबी वराले को सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश के रूप में प्रमोट किए जाने का नोटिफिकेशन जारी कर दिया. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट में अनुसूचित जाति के तीन जज हो जाएंगे.
इस संबंध में केंद्रीय कानून और न्याय राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा कि सरकार ने भारत के राष्ट्रपति और मुख्य न्यायाधीश के साथ परामर्श के बाद कर्नाटक हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस पीबी वराले को सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त करने की सिफारिश पर मुहर लगा दी है.
34 हो जाएगी सुप्रीम कोर्ट के जजों की संख्या
जस्टिस वराले की नियुक्ति के साथ ही सु्प्रीम कोर्ट में जजों की संख्या एक बार फिर 34 हो जाएगी. पिछले 25 दिसंबर को न्यायमूर्ति संजय किशन कौल के रिटायरमेंट के बाद सुप्रीम कोर्ट में एक जजों की कमी हो गई थी.
कॉलेजियम ने 19 जनवरी को की थी सिफारिश
चीफ जस्टिस धनंजय वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 19 जनवरी को न्यायमूर्ति वराले की पदोन्नति की सिफारिश की थी. कॉलिजियम ने कहा कि जस्टिस वराले ने बॉम्बे हाई कोर्ट के जज के रूप में काफी अनुभव प्राप्त किया है. इसके बाद वह कर्नाटक हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में भी सेवा दे रहे हैं.
पहली बार अनुसूचित जाति के तीन जज
उनके नाम की सिफारिश करते समय कॉलेजियम ने इस बात को ध्यान में रखा कि हाई कोर्ट के जजों में वह अनुसूचित जाति से संबंधित सबसे वरिष्ठ जज हैं. न्यायमूर्ति वराले की पदोन्नति के साथ ही सुप्रीम कोर्ट में पहली बार अनुसूचित जाति के तीन जज होंगे. वराले के अलावा न्यायमूर्ति गवई और सीटी रविकुमार भी अनुसूचित जाति से आते हैं.
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