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Supreme Court: अखिलेश यादव की आय से अधिक संपत्ति पर SC जनवरी में करेगा सुनवाई, याचिकाकर्ता ने CBI पर लगाए हैं ये आरोप
याचिकाकर्ता विश्वनाथ चतुर्वेदी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर सपा प्रमुख अखिलेश यादव, उनके स्वर्गीय पिता मुलायम सिंह यादव समेत परिवार के अन्य सदस्यों पर आय से अधिक संपत्ति रखने का आरोप लगाया था.
Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट स्वर्गीय मुलायम सिंह, अखिलेश यादव और प्रतीक यादव की आय से अधिक संपत्ति मामले पर अगले महीने जनवरी में सुनवाई करेगा. सोमवार (5 दिसंबर) को CBI ने कहा कि उसने सबूतों के अभाव में 2013 में जांच बंद कर दी थी. इसका विरोध करते हुए याचिकाकर्ता विश्वनाथ चतुर्वेदी के वकील ने कहा कि सीबीआई कहती है कि उसने सीवीसी को केस बंद करने की जानकारी दे दी थी. लेकिन ऐसी कोई जानकारी नहीं दी गई थी.
राजनीतिक फायदे के लिए पूरे मामले में गड़बड़ियां की गई हैं. इस पर चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि जाड़े की छुट्टियों के बाद सभी पक्षों को सुना जाएगा.
क्या है मामला?
2005 में विश्वनाथ चतुर्वेदी नाम के वकील ने यूपी के तत्कालीन सीएम मुलायम सिंह यादव, उनके बेटे अखिलेश यादव, बहु डिंपल यादव और दूसरे बेटे प्रतीक यादव के ऊपर आय से करोड़ों अधिक संपत्ति अर्जित करने का आरोप लगाते हुए जनहित याचिका दायर की थी. 1 मार्च 2007 को सुप्रीम कोर्ट ने CBI को इस आरोप की प्राथमिक जांच का आदेश दिया. अक्टूबर 2007 में CBI ने कोर्ट को बताया कि शुरुआती जांच में उसे मुकदमा दर्ज करने लायक सबूत मिले हैं. 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने डिंपल को जांच के दायरे से बाहर कर दिया. मुलायम, अखिलेश और प्रतीक के खिलाफ जांच चलती रही.
याचिकाकर्ता ने मांगी रिपोर्ट
मार्च 2019 में याचिकाकर्ता ने नया आवेदन दाखिल कर आरोप लगाया कि CBI ने मामले को ठंडे बस्ते में डाल रखा है. लिहाजा कोर्ट CBI से स्टेटस रिपोर्ट मांगे. मामले की सुनवाई कर रहे तत्कालीन चीफ जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस दीपक गुप्ता की बेंच ने इस बात पर हैरानी जताई कि 12 साल बाद भी जांच में हुई तरक्की की किसी को जानकारी नहीं है.
CBI का जवाब
CBI ने चौंकाने वाला जवाब देते हुए कहा कि उसे शुरुआती जांच में नियमित FIR दर्ज करने लायक सबूत नहीं मिले थे. इसलिए, अगस्त 2013 में ही जांच बंद कर दी गई थी. CBI ने जवाब में आगे लिखा कि उसने अपना कानूनी दायित्व निभाते हुए अक्टूबर 2013 में CVC को इस बात की जानकारी दे दी थी. CVC को जांच बंद करने के अपने फैसले की विस्तृत वजह भी बताई थी.
CVC का इनकार
याचिकाकर्ता ने CVC में RTI आवेदन लगा कर CBI की रिपोर्ट मांगी. लेकिन CVC ने जवाब में कहा कि उसके पास ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं है. उनका आवेदन CBI के मुख्य विजिलेंस अधिकारी को भेजा जा रहा है. आगे की जानकारी के लिए उनसे संपर्क करें.
कोर्ट में उठेगा सवाल
याचिकाकर्ता विश्वनाथ चतुर्वेदी ने एबीपी न्यूज़ से कहा कि साफ लग रहा है कि पिछली यूपीए सरकार को समाजवादी पार्टी के समर्थन के चलते CBI निष्पक्ष तरीके से काम नहीं कर रही थी. अब मामले की लीपापोती की जा रही है. चतुर्वेदी ने कहा कि कोर्ट जांच में गड़बड़ी करने और अदालत को गलत जानकारी देने वाले CBI अधिकारियों के खिलाफ SIT बना कर जांच होनी चाहिए. अगली सुनवाई में वह इसकी मांग करेंगे.