Supreme Court on Free Schemes: चुनावों में मुफ्त की योजनाओं के मामले में सुप्रीम कोर्ट में आज फिर सुनवाई होगी. पिछली सुनवाई में भारत सरकार (GOI) ने कोर्ट में अपनी दलील पेश की थी और सुप्रीम कोर्ट ने मामले को लेकर विशेषज्ञों की समित बनाने की बात कही थी. कोर्ट ने कहा था कि समिति में वित्त आयोग (Finance Commission), नीति आयोग (NITI Aayog), रिजर्व बैंक (RBI), लॉ कमीशन (Law Commission), राजनीतिक पार्टियों (Political Parties) समेत दूसरे पक्षों के प्रतिनिधि भी होने चाहिए.
इससे पहले भारत सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने समिति को लेकर कोर्ट में सुझाव दिया था. तुषार मेहता ने कहा था कि वह एक समिति का प्रस्ताव कर रहे हैं, जिसमें सचिव, केंद्र सरकार, प्रत्येक राज्य सरकार के सचिव, प्रत्येक राजनीतिक दल के प्रतिनिधि, नीति आयोग के प्रतिनिधि, आरबीआई, वित्त आयोग और राष्ट्रीय करदाता संघ और शामिल हैं.
मुफ्त की योजनाओं को लेकर सुप्रीम कोर्ट यह कह चुका है
मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस एनवी रमण की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यों की पीठ कर रही है. अदालत भारत सरकार, याचिकाकर्ता और वकील कपिल सिब्बल से मामले को लेकर सुझाव मांग चुकी है. कोर्ट ने इसके लिए सात दिन का समय दिया था. सुप्रीम कोर्ट कह चुका है कि चुनाव में मुफ्त की योजनाओं से सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचता है. कोर्ट ने भारत सरकार और चुनाव आयोग से ऐसी योजनाओं पर विचार करने के लिए कहा था.
आम आदमी पार्टी याचिका के खिलाफ
इससे पहले कोर्ट में 11 अगस्त और उससे पहले तीन अगस्त को सुनवाई हुई थी. कोर्ट में दायर याचिका में मांग की गई है कि मुफ्त की योजनाओं की घोषणा करने वाली राजनीतिक पार्टियों की मान्यता रद्द होनी चाहिए. याचिका के खिलाफ आम आदमी पार्टी कोर्ट पहुंच गई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'रेवड़ी कल्चर' को लेकर विपक्षी दलों पर तंज कसा था, इसके जवाब में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि करदाताओं के साथ तब धोखा होता जब चंद साथियों के बैंक कर्ज माफ कर दिए जाते हैं. उन्होंने मुफ्त योजनाओं को लेकर जनमत संग्रह कराने का चैलेंज भी दिया था.
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