Plea Against CAA Rules: नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 लागू होने के बाद इस पर रोक लगाने की मांग भी तेज हो गई. मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं डाली गईं जिन पर कोर्ट 19 मार्च को सुनवाई करने के लिए सहमत हो गया है. इसमें इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग की याचिका भी शामिल है.
2019 से सुप्रीम कोर्ट में दायर दो सौ से अधिक याचिकाओं में सीएए के विभिन्न प्रावधानों को चुनौती दी गई है. वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल द्वारा मामले का उल्लेख किए जाने पर मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि मामला अगले सप्ताह सूचीबद्ध किया जाएगा.
सीएए में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न के कारण भारत आए गैर-मुस्लिम शरणार्थियों (हिंदू, सिख, बौद्ध, पारसी, जैन) को फास्ट-ट्रैक नागरिकता देने का प्रावधान रखा गया है.
इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग की याचिका में क्या?
इन्ही याचिकाओं में से एक याचिका इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) ने भी डाली है जिसमें कोर्ट से यह सुनिश्चित करने का अनुरोध किया गया है कि पहले दायर रिट याचिकाओं के निपटारे तक मुस्लिम समुदाय से संबंधित लोगों के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई न की जाए.
याचिका में सुप्रीम कोर्ट से ये निर्देश देने का भी आग्रह किया गया है कि मुस्लिम समुदाय के लोगों को भी नागरिकता के लिए आवेदन करने की अस्थाई अनुमति दी जाए और उनकी पात्रता पर रिपोर्ट पेश की जाए. दरअसल, सीएए के तहत मुसलमान भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन आवेदन नहीं कर सकते.
सीएए के आलोचकों ने यह तर्क दिया कि मुसलमानों को इसके दायरे से बाहर करके और नागरिकता को धार्मिक पहचान से जोड़कर, कानून भारतीय संविधान में निहित धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों को कमजोर करता है. हालांकि, केंद्र सरकार ने कहा है कि सीएए नागरिकता देने के बारे में है और देश के किसी भी नागरिक की नागरिकता नहीं जाएगी.
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