Air Pollution in Delhi NCR: दिल्ली-एनसीआर में भयंकर वायु प्रदूषण का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. एक वकील ने कोर्ट को बताया कि AQI 500 के स्तर पर पहुंच गया है. लोगों के जीवन के अधिकार की रक्षा के लिए कोर्ट को दखल देना चाहिए. इस पर चीफ जस्टिस यू यू ललित ने 10 नवम्बर को मामला सुनवाई के लिए लगाने की बात कही.
सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करने वाले वकील शशांक शेखर झा ने एबीपी न्यूज़ को बताया है कि उन्होंने खास तौर पर पराली जलाने की घटनाओं का ज़िक्र अपनी याचिका में किया है. इस मामले में पंजाब सरकार बुरी तरह विफल रही है. हरियाणा समेत बाकी राज्यों में भी पराली जल रही है, लेकिन कुछ कमी आई है. झा ने सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को कोर्ट में तलब कर उनसे जवाब मांगने का अनुरोध किया है.
याचिका में इंडियन एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टीट्यूट (IRAI) की तरफ से जारी आंकड़े की जानकारी दी गई है. इस रिपोर्ट के मुताबिक 1 नवंबर को फसल अवशेष (पराली) जलाने की 2,109 घटनाएं हुईं. इनमें से अकेले पंजाब के 1,842 मामले हैं. हरियाणा में 88, उत्तर प्रदेश में 9 और दिल्ली में पराली जलाने की 1 घटना हुई.
क्षेत्र | AQI |
जहांगीरपुरी, दिल्ली | 740 |
आनंद विहार, दिल्ली | 707 |
मदर डेयरी प्लांट, परपड़गंज, दिल्ली | 385 |
मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम, दिल्ली | 372 |
मंदिर मार्ग, दिल्ली | 266 |
लोधी रोड, दिल्ली | 159 |
नोएडा | 562 |
गुरुग्राम | 539 |
15 सितंबर से 31 अक्टूबर के बीच पराली जलाने के मामलों में पंजाब में पिछले साल की तुलना में 21 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है. बाकी राज्यों में पिछले साल की तुलना में इस साल ऐसे मामलों में गिरावट आई है. याचिकाकर्ता ने कहा है कि मामले में सुप्रीम कोर्ट के तरफ से जारी निर्देशों का पालन नहीं हो रहा है. लोगों के स्वास्थ्य को गंभीर खतरा है. सांस की बीमारियां बढ़ रही हैं. यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो के एक अध्ययन के मुताबिक हर साल दिल्ली में होने वाला यह प्रदूषण यहां रहने वाले लोगों के जीवन को 10 साल तक घटा रहा है.
याचिका में मांग की गई है कि
- पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट नए सिरे से दिशानिर्देश जारी करे
- दिल्ली-एनसीआर में सार्वजनिक परिवहन को बढ़ाने, पेड़ लगाने, स्मॉग टावर बनाने जैसे कदम उठाए जाएं
- सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज की अध्यक्षता में एक कमिटी के गठन हो जो प्रदूषण से निपटने के उपाय सुझाए
- मुख्य सचिवों की जवाबदेही तय की जाए
- फिलहाल स्कूल और दफ्तर ऑनलाइन मोड में काम करें
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