नई दिल्ली: कृषि कानूनों के खिलाफ गणतंत्र दिवस पर हजारों की संख्या में किसानों ने ट्रैक्टर रैली निकाली थी, लेकिन कुछ ही देर में दिल्ली की सड़कों पर अराजकता फैल गई थी. हिंसा में लिप्त लोगों के खिलाफ कार्रवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट में करीब पांच दलीलें दायर की गई हैं. आज सुप्रीम कोर्ट किसान आंदोलन के दौरान गणतंत्र दिवस पर हुई हिंसा के खिलाफ दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करेगा. जस्टिस एएस बोपन्ना और वी रामसुब्रमण्यन के साथ ही चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ इसकी सुनवाई करेगी.


दायर याचिकाओं में क्या कहा गया है
दायर की गई याचिकाओं में से एक में एनआईए को इस मामले की जांच के निर्देश देने की मांग की है. कहा गया है कि ट्रैक्टर रैली का हिस्सा रहे उन असामाजिक तत्वों के खिलाफ अदालत की निगरानी में एनआईए को जांच करनी चाहिए, जो गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रीय राजधानी की सड़कों पर हिंसा में लिप्त थे.


एडवोकेट शशांक शेखर झा और मंजू जेटली शर्मा के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि गणतंत्र दिवस पर लाल किले और राष्ट्रीय ध्वज पर हुए हमले पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है. प्रदर्शनकारियों को विरोध के नाम पर हिंसा करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है. दलील में कहा गया है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और विरोध जताने के साथ ही दूसरों के अधिकारों पर भी विचार करना चाहिए.


याचिका में सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश या एक विशेष जांच दल की अध्यक्षता वाले न्यायिक आयोग के गठन के लिए भी निर्देश देने की मांग की गई है, जिसकी निगरानी शीर्ष अदालत द्वारा किए जाने की बात कही गई है. इसके अलावा अधिवक्ता विशाल तिवारी द्वारा एक याचिका दायर की गई है, जिसमें शीर्ष अदालत से राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों या संगठन के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के निर्देश जारी करने का आग्रह किया गया है.


एक याचिका में कहा गया है कि दुर्भाग्य से ट्रैक्टर रैली ने हिंसक मोड़ ले लिया, जिससे सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान हुआ और साथ ही लोगों को भी चोट पहुंची. याचिका में कहा गया है, "इस घटना ने जनता की दैनिक दिनचर्या को भी प्रभावित किया है. इंटरनेट सेवाओं को बाधित किया गया है, क्योंकि सरकार ने ऑपरेटरों को इसे निलंबित करने का आदेश दिया."


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